दिल्ली । अमेरिका के साथ जारी ट्रेड वॉर अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। चीन ने हाल ही में अमेरिका के 145% टैरिफ के जवाब में 125% का भारी शुल्क लगा दिया है। लेकिन यह केवल व्यापारिक पलटवार नहीं है—अब चीन की नजर वैश्विक समीकरणों को बदलने पर है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगुआई में चीन ने अब यूरोपीय संघ की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है और अमेरिका की ‘एकतरफा दबाव नीति’ के खिलाफ साथ खड़ा होने की अपील की है।
चीन ने मांगा यूरोप का साथ —
स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज के साथ हुई अहम बैठक में जिनपिंग ने कहा कि चीन और यूरोप को वैश्विक जिम्मेदारियों को साझा करते हुए अमेरिका की धमकी भरी नीतियों का मिलकर विरोध करना चाहिए। उनका कहना है कि इस तरह की नीतियां अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अस्थिर करती हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा हैं।
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उधर अमेरिका चीन की इन कूटनीतिक हरकतों से चिढ़ा हुआ नजर आ रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए गए टैरिफ को ‘देश के हित में उठाया गया सही कदम’ बताया है। जबकि ट्रेजरी सचिव ने बीजिंग को चेताया है कि अगर वह पलटवार नहीं करेगा तो उसे इसका फायदा मिल सकता है। चीन अपनी कूटनीति से सिर्फ यूरोप ही नहीं एशिया के अन्य देशों से भी संपर्क बढ़ा रहा है। विदेश मंत्री वांग यी ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) से संबंध गहरा करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। अब देखना यह होगा कि अमेरिका के खिलाफ चीन का यह नया ‘ग्लोबल कूटनीतिक फ्रंट’ किस हद तक असरदार साबित होता है और क्या यूरोप व एशिया के देश इस रणनीति में चीन का साथ देते हैं या नहीं।