बरेली। प्रदेश के सभी नगर निगम के महापौर पद के लिए आरक्षण वैसे तो तय हुआ बताया जा रहा है, लेकिन घोषित होना बाकी है। शनिवार को प्रदेश के सभी महापौरों के पदों का आरक्षण घोषित किया जाना था। इसके लिए राजधानी लखनऊ में नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने शनिवार को दोपहर प्रेस वार्ता बुलाई थी, लेकिन ऐन मौके पर आरक्षण का ऐलान टाल दिया गया। अभी यह तो खुलासा नहीं हुआ है कि यह ऐलान क्यों टला, लेकिन समझा जा रहा है कि आरक्षण को लेकर अंदरखाने चल रही खींचतान में घोषणा नहीं की जा सकी। बताया जा रहा है कि अब आरक्षण की घोषणा सोमवार को संभव है।
अलबत्ता, चर्चा यह है कि बरेली नगर निगम के महापौर का पद इस बार भी अनारक्षित होता है तो मौजूदा महापौर डॉ. उमेश गौतम के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि यह तय होना बाकी है कि भाजपा महापौर के चुनाव में डॉ. गौतम को प्रत्याशी बनाएगी या नहीं, लेकिन माना यही जा रहा है कि मौजूदा महापौर होने की वजह से पार्टी उनको ही मौका देगी लेकिन सीट अनारक्षित होने के बाद भी भाजपा में टिकट के दावेदारों की लाइन लंबी है। वैसे, जरूरी नहीं कि अनारक्षित होने पर सामान्य वर्ग से ही कोई प्रत्याशी होगा। भाजपा किसी अन्य वर्ग से भी किसी को अपना प्रत्याशी बना सकती है या फिर किसी महिला को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है, लेकिन यह तय होगा, अगले कुछ दिन में।
माना यही जा रहा है कि आरक्षण घोषित होने के बाद भाजपा एक सप्ताह के अंदर अपने प्रत्याशी घोषित कर देगी। बरेली से भाजपा के टिकट के दावेदारों में पार्टी के महानगर अध्यक्ष डॉ. केएम अरोरा भी हैं। साहू राम स्वरूप महिला महाविद्यालय की रिटायर्ड प्रिंसिपल शशिवाला राठी भी टिकट के लिए जोरशोर से पैरवी में जुटी हुई हैं। टिकट के अन्य दावेदारों में डॉ. विनोद पागरानी, डॉ. विमल भारद्वाज के नाम भी चर्चा में चल रहे हैं।
अलबत्ता, सपा को अब नए सिरे से अपने प्रत्याशी के नामों पर मंथन करना होगा। यहां टिकट के दावेदारों में पहला नाम पूर्व महापौर डॉ. आईएस तोमर का ही है। सपा खेमे में काफी समय से चर्चा यह थी कि अगर सीट आरक्षित होती तो फरीदपुर के पूर्व विधायक विजय पाल सिंह खुद या अपने परिवार के किसी सदस्य की दावेदारी कराने को तैयार बैठे थे। वैसे, समीकरण को देखते हुए अब सपा को तय करना है कि वह महापौर पद के इस चुनाव में क्या रणनीति अख्तियार करे। यह भी माना जा रहा है कि सपा किसी मुस्लिम को भी प्रत्याशी बना सकती है। वहीं, बसपा और कांग्रेस में कौन-कौन दावेदार हैं, इसका खुलासा होना बाकी है, चूंकि अब आरक्षण तय हो गया है, इसलिए समझा जा रहा है कि बसपा और कांग्रेस में भी दावेदार सक्रिय हो जाएंगे। अंदरखाने चर्चा यह भी कि इस बार आईएमसी मेयर चुनाव में अपना प्रत्याशी उतार सकती है।