सपा के दिग्‍गज नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्‍मद आजम खां की सदस्‍यता जाने के बाद रिक्‍त हुई रामपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में एक तरह भाजपा है तो दूसरी तरफ सपा प्रत्‍याशी के पक्ष में खुद आजम खां उतरे हुए हैं। वह उपचुनाव में रामपुर विधानसभा सीट बचाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। इसके लिए वह मतदाताओं को सपा के पक्ष में लाने के लिए भावुक अपील कर रहे हैं।

हर दिन हो रहीं जनसभाओं में लोगों को संबोधित करते हुए आजम खां कितना भावुक होते नजर आ रहे हैं, इसकी बानगी उनके ही शब्‍दों में जानिए-
‘यह वक्त तो गुजर जाएगा, बहुत आसानी से गुजर जाएगा। याद है 1977 में 19 महीने की जेल काटकर रामपुर पहुंचा था, जब जिंदगी की शुरुआत की थी और आज जब जिंदगी के इस मोड़ पर खड़ा हूं और जेल से निकला हूं, अरमान यह है कि फिर जेल में वापस भेज दिया जाए। फैसला वही होगा, जो मालिक ए हबीब चाहेगा, लेकिन तुम सजा मत देना, मेरे बच्चों आप सजा मत देना।’

जनसभा को संबांधित करते हुए आजम खान ने कहा कि हम भी इंसान हैं, इस मुल्क में हमारी भी हिस्सेदारी है। इस मुल्क में हमारे बुजुर्गों का पसीना और खून बहा है। उलेमाओं की लाशें, बहादुर शाह जफर के सामने जवान बेटों के कटे हुए सिर, सभी यहीं हुआ है। यह हमारा वतन भी है। उन्होंने आगे कहा कि 1947 में आप नहीं जा सकते थे पाकिस्तान, लेकिन हम जा सकते थे। मगर हम नहीं गए, क्योंकि यहां दिल्ली की जामा मस्जिद है, यहां हमारे बुजुर्गों के मजार हैं, यहां हमारे बुजुर्गों का ताजमहल है, हमारी बुलंदी की यादगार कुतुबमीनार है। हम नहीं गए अपना वतन छोड़कर। हम अकबर की यादों को छोड़कर नहीं गए, हम जोधा बाई की भी यादों को छोड़कर नहीं गए। तुमने कैसे खूबसूरत हिंदुस्तान को बहुत बदनुमा बनाने की शुरुआत की है।

रामपुर के गंज थाना क्षेत्र के शुतरखाना में जनसभा को संबोधित आजम खान ने कहा कि हमसे तो बापू ने कहा था कि न गोरे का न काले का, न छोटे का, न बड़े का, न हिंदू का, न मुसलमान का, ये वतन सबका होगा। इंसाफ तो सबके साथ होगा लेकिन क्या इंसाफ हुआ? जिस मां ने अपनी कोख से बच्चा पैदा किया, उसके बाद भी हम उस बच्चे की पैदाइश साबित नहीं कर पा रहे हैं। इतने सबूत दिए लेकिन साबित नहीं कर सके।

एक जनसभा में आजम खान ने कहा- ‘हम जान दे देंगे। हम अपनी नसें खुद काट कर मर जाएंगे, लेकिन अपने चेहरे पर दाग लेकर हम अपनी कब्र में हरगिज़ नहीं जाएंगे। आज मेरे हाथ में कुछ नहीं हैं, यह दामन खाली है। इसी दामन में तुम्हारे बच्चों के लिए पूरे हिंदुस्तान से भीख मांगता फिरा। मैंने भीख मांगी कि तुम्हारे बच्चों के हाथों में कलम दे सकूं, तुम्हारे हाथों में झाड़ू न आए, पोछा न आए और तुम दरी बिछाने वाले न बनो, मेंने तो यह सपना देखा था।’

जनसभा को संबोधति करते हुए आजम खां ने कहा कि आज के माहौल में मैं आपसे यह कहने आया हूं कि मैं आज सही हूं, मैं कल भी सही था। मैंने कल भी जालिम को अच्छा नहीं कहा और आज भी जालिम को अच्छा नहीं कहूंगा। बोले- मैं इंतजार करूंगा उस दिन का, जब आप में से कोई न कोई शख्स ऐसा पैदा होगा, जो आज के हालात का इंतकाम लेगा। इंतकाम कभी हथियार से नहीं होता, उसी तरह से इंतकाम होगा, जिस तरह से हमें और हमारे प्यारों को बर्बाद किया गया है।

आजम खान ने कहा कि कभी इंदिरा गांधी की कांग्रेस का नाम बहुत था, लेकिन आज इंदिरा गांधी की कांग्रेस का नाम खत्म हो गया। उत्तर प्रदेश, जहां से उनके खानदान के लोग वजीरे आजम बनते थे, आज अगर किसी शहर में 10 लोग तलाश किए जाएं कांग्रेस के तो नहीं मिलेंगे। कोई गुमान में न रहे, फिरौन तारीख में जिंदा था और जिंदा रहेगा।

जनसभा को संबोधित करते हुए आजम खान ने कहा कि मेरे पास बहुत सी गाड़ियां आईं और चली गईं, लेकिन आज तक मुझें किसी गाड़ी का नंबर याद नहीं रहा। मुझे अपने टेलीफोन का नंबर याद नहीं है, जो 25 साल से मेरे पास है। कम अक्ल का आदमी हूं।

बता दें क‍ि आजम खान सोमवार की रात एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान सामने खड़े समर्थकों में से एक युवक हंसने लगा। इस पर आजम खान के तेवर बदल गए। वह भड़क गए। युवक से सवाल किया-अपने आप पर हंस रहे हो, या हम पर? आगे कहा- हम पर कितना हंसोगे? हम पर दुनिया थूक रही है। हमसे ज्यादा बेशर्म और कौन हो सकता है? इतना सब गुजरने के बाद भी तुम्हारे अंदर हंसने की ताकत है, हिम्मत है तो मैं तुम्हें दाद दे सकता हूं।

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