शहरी बेरोजगारी दर में आई गिरावट, 9.3 फीसदी पर रहा आंकड़ाः रिपोर्ट

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शहरों में बेरोजगारी दर इस साल के शुरुआती तीन माह में 0.6 फीसदी घटकर 9.3 फीसदी पर आ गई। इससे सरकार को राहत मिलने की उम्मीद है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक सरकारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है। हालांकि इस रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। सरकार इस रिपोर्ट को बहुत जल्द प्रकाशित करेगी। रिपोर्ट के अनुसार 2018 की अक्तूबर- दिसंबर तिमाही में यह दर 9.9 फीसदी रही थी।

युवा बेरोजगारी दर में कमी 

युवा बेरोजगारी दर में भी कमी आई है। 15-29 साल के युवा जो देश की कुल आबादी में एक तिहाई हैं, उनकी बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च तिमाही में गिरकर 22.5 फीसदी रही। वहीं अक्टूबर-दिसंबर (2018) तिमाही की बात करें तो यह दर 23.7 फीसदी थी। बेरोजगारी को लेकर ये रिपोर्ट ‘करेंट वीकली स्टेटस’ को आधार मानकर तैयार की गई है, जिसके तहत किसी  भी शख्स को उस हफ्ते में बेरोजगार माना जाता है, जिस सप्ताह में वह एक घंटे के लिए भी काम नहीं करता या फिर उसको काम नहीं मिलता है।

तीन साल के उच्चतम स्तर पर है बेरोजगारी दर

भारत की बेरोजगारी दर अक्तूबर माह में तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने बेरोजगारी दर 8.5 फीसदी रही, जो कि अगस्त 2016 के बाद का सबसे उच्चतम स्तर है। यह इस साल सितंबर में जारी किए गए आंकड़ों से भी काफी ज्यादा है।

छह साल में सबसे कम लोगों को मिली नौकरी 

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सस्टेनेबल इंप्लायमेंट के द्वारा जारी एक शोध पत्र में दावा किया गया है कि पिछले छह सालों में लोगों को रोजगार मिलने की संख्या में काफी गिरावट आई है। 2011-12 से लेकर के 2017-18 के बीच 90 लाख लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। देश के तीन राज्यों में स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक हो गई है।

सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में लोगों को नौकरियां ढूंढने पर भी नहीं मिल रही हैं। त्रिपुरा में बेरोजगारी दर 23.3 फीसदी रिकॉर्ड की गई है।

सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास के मुताबिक देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। इसमें भी शहरी इलाकों में लोगों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं। ऑटो सहित कई सेक्टर में हालत बिगड़ने से भी यह असर देखने को मिल रहा है। टेक्सटाइल, चाय, एफएमसीजी, रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में भीषण मंदी आई है।

सीएमआईई ने जो डाटा जारी किया था उसके मुताबिक 2016 से 2018 के बीच 1.1 करोड़ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। फरवरी 2019 में बेरोजगारी का आंकड़ा 7.2 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं पिछले साल फरवरी में यह आंकड़ा 5.9 फीसदी था।

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