युवा बेरोजगारी दर में कमी
तीन साल के उच्चतम स्तर पर है बेरोजगारी दर
छह साल में सबसे कम लोगों को मिली नौकरी
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सस्टेनेबल इंप्लायमेंट के द्वारा जारी एक शोध पत्र में दावा किया गया है कि पिछले छह सालों में लोगों को रोजगार मिलने की संख्या में काफी गिरावट आई है। 2011-12 से लेकर के 2017-18 के बीच 90 लाख लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। देश के तीन राज्यों में स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक हो गई है।
सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में लोगों को नौकरियां ढूंढने पर भी नहीं मिल रही हैं। त्रिपुरा में बेरोजगारी दर 23.3 फीसदी रिकॉर्ड की गई है।
सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास के मुताबिक देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। इसमें भी शहरी इलाकों में लोगों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं। ऑटो सहित कई सेक्टर में हालत बिगड़ने से भी यह असर देखने को मिल रहा है। टेक्सटाइल, चाय, एफएमसीजी, रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में भीषण मंदी आई है।
सीएमआईई ने जो डाटा जारी किया था उसके मुताबिक 2016 से 2018 के बीच 1.1 करोड़ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। फरवरी 2019 में बेरोजगारी का आंकड़ा 7.2 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं पिछले साल फरवरी में यह आंकड़ा 5.9 फीसदी था।