लखनऊ। यूपी में अब फिर ज्‍वार की पैदावार बढ़ाने की तैयारी है। यह अनाज सुपर फूड है इसलिए योगी सरकार प्रदेश में इसके उत्‍पादन को बढ़ावा देना चाहती है। इसके लिए किसानों को प्रोत्‍साहित किया जाएगा। बता दें क‍ि एक वक्‍त में किसान ज्‍चार की खेती बहुतायत क‍िया करते थे लेकिन इस परंपरागत अनाज का स्‍थान अन्‍य फसलों ने ले लिया। इसकी विशेषता यह है क‍ि यह कम पानी में होती है और इसका महत्‍व भोजन में पोषकता के लिए भी है। अंतरराष्ट्रीय मिलेट (मोटे अनाज) वर्ष-2023 में योगी सरकार किसानों को ज्वार की खूबियां बताकर उन्हें इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित करेगी।

उल्लेखनीय है कि मोटे अनाजों में बाजरा के बाद ज्वार दूसरी प्रमुख फसल है। यह खाद्यान्न एवं चारा दोनों रूपों में उपयोगी है। इसके लिए सिर्फ 40-60 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है। लिहाजा, इसकी फसल सिर्फ वर्षा के सहारे असिंचित क्षेत्र में भी की जा सकती है।

डायरेक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड स्टैटिक्स मिनिस्ट्री ऑफ एग्रिकल्चर के 2013 से 2016 तक के आंकड़ों के अनुसार, भारत में ज्वार की प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उपज 870 किलो ग्राम है। इस दौरान उत्तर प्रदेश की औसत उपज 891 किलो ग्राम रही। इस दौरान सर्वाधिक 1814 किग्रा की उपज आंध्र प्रदेश की रही। कृषि विभाग के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार 2022 में इसकी उपज बढ़कर 1643 किलो ग्राम हो गई। बावजूद इसके यह शीर्ष उपज लेने वाले राज्य से कम है। उपज का यही गैप उत्तर प्रदेश के लिए संभावना भी है। खेती के उन्नत तरीके, अच्छी प्रजाति के बीजों की बुआई से इस गैप को भरा जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष का मकसद भी यही है।

इफ्को के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. डीके सिंह के अनुसार, भारत में तो हरित क्रांति के पहले प्राचीन काल से ज्वार सहित अन्य मोटे अनाजों की खेती की संपन्न परंपरा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मन की बात में मिलेट्स रिवॉल्यूशन की बात कर चुके हैं। भारत 2018 में मिलेट वर्ष मना चुका है। भारत के प्रस्ताव पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मोटे अनाजों की खूबियों के प्रति लोगों एवं किसानों को जागरूक करने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है।

किसानों को ऐसे किया जाएगा प्रोत्साहित

राज्य स्तर पर दो दिन की एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसमें विषय विशेषज्ञ प्रदेशभर से आए प्रगतिशील किसानों को मोटे अनाज की खेती के उन्नत तरीकों, भंडारण एवं प्रसंस्करण के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। जिलों में भी इसी तरह के प्रशिक्षण कर्यक्रम चलेंगे। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत जिन जिलों- झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, जालौन, प्रयागराज, हरदोई, मथुरा, फरुर्खाबाद आदि में परंपरागत रूप से मोटे अनाजों की खेती होती है, उनमें दो दिवसीय किसान मेले आयोजित होंगे। इसमें वैज्ञानिकों के साथ किसानों का सीधा संवाद होगा। खूबियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियां निकाली जाएंगी। राज्य स्तर पर इनकी खूबियों के प्रचार-प्रसार के लिए दूरदर्शन, आकाशवाणी, एफएम रेडियो, दैनिक समाचार पत्रों, सार्वजिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर के जरिए आक्रामक अभियान भी चलाया जाएगा।

यह है ज्‍वार की व‍िशेषताएं-

-ज्वार की खेती किसी तरह की भूमि में की जा सकती है। बस उसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए खेत की भी खास तैयारी नहीं करनी होती।
-रोगों के प्रति प्रतिरोधी होने के कारण इसमें कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती।

ज्‍वार इसलिए है सुपर फूड-

ज्वार में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर होते हैं। हर तरह की विटामिन, कैल्शियम, आयरन, जिंक, कॉपर, फास्फोरस की मौजूदगी की वजह से इसे भी बाजरा की तरह सुपरफूड कहा जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, ज्वार में कोस्ट्रॉल जीरो, कैलोरी 339, कार्बोहाइड्रेट 74.3 ग्राम। फाइबर 6.3 ग्राम, प्रोटीन 11.3 ग्राम, कुल वसा 3.3 ग्राम। संतृप्त वसा 0.5 ग्राम। मोनोसेचुरेटेड वसा 1.0 ग्राम। पॉलीअनसेचुरेटेड वसा 1.4 ग्राम। ओमेगा-3 फैटी एसिड 65 मिलीग्राम और ओमेगा-6 फैटी एसिड 1305 मिलीग्राम पाए जाते हैं। इसके अलावा, विटामिन बी 1- 0.2, विटामिन बी 2 – 0.1, विटामिन बी 3 – 2.9, विटामिन बी 5 – 0.367, विटामिन बी 6 – 0.443, विटामिन ई – 0.50, कैल्शियम – 28.0, आयरन – 4.4, मैग्नीशियम – 165, फास्फोरस – 287, पोटेशियम – 350, सोडियम – 6.0, जिंक – 1.7, कॉपर – 0.284, सेलेनियम – 12.2 पाए जाते हैं।

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