उत्तराखंड में गढ़वाल के जोशीमठ में भू-धंसाव से स्थानीय लोग परेशान हैं और पलायन का मन बनाए हुए हैं। असल में, जोशीमठ में अप्रत्याशित रूप से भूधंसाव हो रहा है। इससे लोगों के घरों में दरारें पड़ गई हैं। लोग डरे हुए हैं। बताया गया है कि अब तक भू-धंसाव से जोशीमठ में 150 घरों में दरारें पड़ गई हैं। इससे ये घर रहने लायक नहीं रह गए हैं। घरों में दरारे पड़ने के कारण कई लोगों ने अपने-अपने घर छोड़ दिए हैं।

प्रदेश सरकार ने शुरू किए इंतजाम
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने शहर को भू-धंसाव से बचाने के इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए सिंचाई विभाग को ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर बनाने को कहा गया है। सीवर सिस्टम से जुड़े कार्यों को जल्द पूर्ण कराकर सभी घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के निर्देश संबंधित विभाग को दिए गए हैं। जोशीमठ पर मंडराते संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने इसी साल वैज्ञानिकों की टीम गठित कर जोशीमठ का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया था। सितंबर में विज्ञानियों ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी।

विशेषज्ञों ने दिया ड्रेनेज व सीवर सिस्टम पर ध्यान देने का सुझाव
वैज्ञानिकों ने सरकार को सुझाव दिया था कि शहर के ड्रेनेज व सीवर सिस्टम पर ध्यान दिया जाए। नदी से हो रहे भू-कटाव को रोका जाना चाहिए। निचली ढलानों पर रह रहे परिवारों का विस्थापन होना चाहिए। बड़ी संरचनाएं क्षेत्र के लिए खतरा हो सकती हैं। इसलिए प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए। शासन ने वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की कवायद शुरू कर दी है। इसके अलावा क्षेत्र का जियो टेक्निकल अध्ययन, प्रभावितों के पुनर्वास समेत अन्य बिंदुओं पर भी जल्द ही कदम बढ़ाए जाएंगे। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने हाल में अधिकारियों के साथ इस विषय पर मंथन किया था।

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