
दिल्ली । अमेरिका के नवनिर्वचित राष्ट्रपति ने जब सें राष्ट्रपति पद सभला तब से अमेरिकी राजनीति में आए दिन उथल- पुथल जारी रहती है। ट्रंप प्रशासन में अमेरिका रह रहे अवैघ आप्रवासियो के खिलाफ तबातोड़ एक्शन लिए जा रहे है। जिसके चलते अमेरिका में रह रहे क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के 5.32 लाख प्रवासियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में एक आदेश जारी कर इन प्रवासियों की कानूनी सुरक्षा समाप्त करने का फैसला लिया है। जिससे उन्हें 24 अप्रैल तक देश छोड़ना पड़ सकता है। सूत्रो के हवाले से यह नीति उन लोगों पर लागू होगी जो अक्टूबर 2022 के बाद अमेरिका में आए थे और उन्हें अस्थायी रूप से रहने की अनुमति दी गई थी।
अवैध अप्रवासियों के लिए मुश्किले लगातार बढ़ती ही जा रही है —अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने स्पष्ट किया कि अब इन प्रवासियों का कानूनी दर्जा खत्म कर दिया जाएगा। विभाग की सचिव क्रिस्टी नोएम ने कहा कि यह फैसला फेडरल रजिस्टर में नोटिस छपने के 30 दिन बाद प्रभावी हो जाएगा। इस आदेश से प्रभावित लोग अब अपने भविष्य को लेकर गहरी चिंता में हैं, क्योंकि उन्होंने अमेरिका में बसने के लिए काफी संघर्ष किया था।
प्रवासियों का संघर्ष और विरोध–इस फैसले के खिलाफ कई अमेरिकी नागरिकों और प्रवासी समूहों ने संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है। वे चाहते हैं कि ट्रंप प्रशासन इस आदेश को वापस ले और ह्यूमैनिटेरियन पैरोल प्रोग्राम को फिर से शुरू करे। बाइडन प्रशासन ने इस प्रोग्राम के तहत हर महीने 30,000 लोगों को दो साल के लिए अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति दी थी।
आपको बताते चले ट्रंप प्रशासन ने यह कड़ा कदम उठाया क्योकि अमेरिका में अवैध अप्रवासियो की जनसंख्या तेजी से बढ़ती ही जा रही थी। मेक्सिको ने कुछ प्रवासियों को वापस लेने पर सहमति जताई थी लेकिन वेनेजुएला और निकारागुआ ने अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया। अब देखना होगा कि यह फैसला अमेरिका की आव्रजन नीति पर क्या असर डालता है और प्रवासी समूहों का संघर्ष क्या रंग लाता है।