लखनऊ/बरेली। प्रदेश के सभी नगर निगम के महापौर पद के लिए आरक्षण घोषित हो गया है। बरेली नगर निगम के महापौर का पद इस बार भी अनारक्षित हुआ है। ऐसे में अब मौजूदा महापौर डॉ. उमेश गौतम के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि यह तय होना बाकी है कि भाजपा महापौर के चुनाव में डॉ. गौतम को प्रत्याशी बनाएगी या नहीं। हालांकि माना यही जा रहा है कि मौजूदा महापौर होने की वजह से पार्टी उनको ही मौका देगी लेकिन सीट अनारक्षित होने की स्थिति में भाजपा में टिकट के दावेदारों की लाइन लंबी है।
बता दें कि राजधानी लखनऊ में नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने सोमवार को प्रदेश के सभी महापौर का आरक्षण घोषित कर दिया। इनमें बरेली को अनारक्षित घोषित किया गया हैै।
वैसे, जरूरी नहीं कि अनारक्षित होने पर सामान्य वर्ग से ही कोई प्रत्याशी होगा। भाजपा किसी अन्य वर्ग से भी किसी को अपना प्रत्याशी बना सकती है या फिर किसी महिला को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है, लेकिन यह तय होगा, अगले कुछ दिन में।
माना यही जा रहा है कि आरक्षण घोषित होने के बाद भाजपा एक सप्ताह के अंदर अपने प्रत्याशी घोषित कर देगी। बरेली से भाजपा के टिकट के दावेदारों में पार्टी के महानगर अध्यक्ष डॉ. केएम अरोरा भी हैं। साहू राम स्वरूप महिला महाविद्यालय की रिटायर्ड प्रिंसिपल शशिवाला राठी भी टिकट के लिए जोरशोर से पैरवी में जुटी हुई हैं। टिकट के अन्य दावेदारों में डॉ. प्रमेंद्र माहेश्वरी, डॉ. विनोद पागरानी, डॉ. विमल भारद्वाज के नाम भी चर्चा में चल रहे हैं।
अलबत्ता, सपा को अब नए सिरे से अपने प्रत्याशी के नामों पर मंथन करना होगा। यहां टिकट के दावेदारों में पहला नाम पूर्व महापौर डॉ. आईएस तोमर का ही है। सपा खेमे में काफी समय से चर्चा है कि अगर सीट आरक्षित होती तो फरीदपुर के पूर्व विधायक विजय पाल सिंह खुद या अपने परिवार के किसी सदस्य की दावेदारी कराने को तैयार बैठे थे। वैसे, समीकरण को देखते हुए अब सपा को तय करना है कि वह महापौर पद के इस चुनाव में क्या रणनीति अख्तियार करे। यह भी माना जा रहा है कि सपा किसी मुस्लिम को भी प्रत्याशी बना सकती है। वहीं, बसपा और कांग्रेस में कौन-कौन दावेदार हैं, इसका खुलासा होना बाकी है, आरक्षण तय होने के बाद बसपा और कांग्रेस में भी दावेदार सक्रिय हो जाएंगे। अंदरखाने चर्चा यह भी कि इस बार आईएमसी मेयर चुनाव में अपना प्रत्याशी उतार सकती है।