आदिवासी बाहुल्य राज्य झारखंड में कुडमी जाति के लोग आदिवासी का दर्जा देने के लिए सड़क पर उतर आए हैं। मंगलवार को लोगों ने रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया। शताब्दी पर पथराव किया। इस आंदोलन की वजह से रेलवे को 20 से ज्यादा ट्रेनें रद करनी पड़ीं।
रांची। झारखंड में कुड़मी समाज के लोग खुद को आदिवासी का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर सड़क पर उतर आए हैं। मंगलवार को कुड़मी समाज के हजारों लोगों ने सुबह से ही टाटा-हावड़ा रूट में कई स्टेशनों पर प्रदर्शन किया। इसके चलते इस रूट पर ट्रेन सेवाएं अस्त-व्यस्त हो गईं। रेलवे को 20 से ज्यादा ट्रेनें रद करनी पड़ीं और कई ट्रेनों को रूट बदलकर चलाया गया है। हावड़ा से रांची आ रही शताब्दी एक्सप्रेस पर भी आंदोलनकारियों ने पत्थराव किया।
प्रदर्शन कर रहे लोग झंडे-डंडे के साथ टाटा-हावड़ा रूट पर खेमाशुली, नीमडीह और कौस्तूर स्टेशन पर मंगलवार को सुबह पांच बजे से जम गए। प्रदर्शनकारियों में बड़ी तादाद में महिलाएं भी शामिल रहीं। यह आंदोलन आदिवासी कुड़मी समाज संगठन के आह्वान पर किया जा रहा है। इस आंदोलन में झारखंड के डुमरिया, जमशेदपुर, रामगढ़, सिल्ली, मनोहरपुर, चक्रधरपुर एवं पटमदा समेत कई स्थानों से बड़ी तादाद में लोग रविवार शाम से ही इन स्टेशनों के पास जमा होने लगे थे। आंदोलनकारियों ने खेमाशुली के पास राजमार्ग संख्या छह पर भी जाम लगा दिया। इससे खड़गपुर-जमशेदपुर राजमार्ग पर भी वाहनों का आवागमन ठप हो गया।
ये है मांग
कुड़मी महतो भारत की एक जनजाति है। यह झारखंड, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल राज्य में निवास करती है। इन्हें कुरमी महतो, महतो, कुड़मी महन्ता, मोहन्त, महन्त आदि नामों से भी जाना जाता है। वर्तमान समय में कुड़मी महतो जाति झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन इस समाज की मांग है कि इन्हें आदिवासी (एससी) का दर्जा दिया जाए।