बरेली@LeaderPost। उर्स-ए-रजवी के आखिरी दिन के मौके पर उलेमा ने की तकरीर आला हजरत फाजिले बरेलवी के कुल के साथ तीन रोजा उर्स का समापन से पहले शहर में रजवी दीवानों का उमड़ता सैलाब नजर आया। शहर के हर तरफ जायरीन ही नजर आ रहे।
शनिवार की सुबह 8 बजे इस्लामिया ग्राउंड में महफिल का आगाज दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां की सरपरस्ती, सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की सदारत व सय्यद आसिफ मियां और राशिद अली खान की देखरेख में हुआ। दरगाह आला हजरत से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया है कि इंग्लैंड, मारीशस, आस्ट्रेलिया,साउथ अफ्रीका, नेपाल, श्रीलंका,दुबई, सऊदी अरब के अलावा मुल्क के कोने-कोने से जायरीन ने शिरकत की। दिन भर दरगाह पर गुलपोशी और फतिहाखवानी का सिलसिला चलता रहा।
मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने कहा कि जो सबसे बड़ा आशिके रसूल वही सच्चा मुसलमान सबसे बड़ा देश का वफादार है। मुसलमानों को अपने देश प्रेमी होने का किसी से प्रमाण की जरूरत नहीं है। हम अपने मजहब और मुल्क के सच्चे वफादार बने रहे। मुसलमानों को अपने आप को कमतर न आके। आला हजरत का वफादार कल भी अपने मजहब का और अपने मुल्क का वफादार है और रहेगा। बड़े बड़े सुन्नी उलेमा ने देश के लिए अपनी जान देकर कुर्बानियां दी है। सोशल मीडिया पर गैर मसलक के लोगो की तकरीर सुनने से परवेज करे। नशे और जुए,शराब जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहे। लड़कियों के लिए सरकार द्वारा मानक पूरे कर स्कूल खोले जाएं तालीम को आम करने का काम करे।
संचालन (निजामत) कारी यूसुफ रजा संभली ने कहा कि आला हजरत ने मुसलमानों को इश्क़ ए रसूल की घुट्टी पिलाई। जब-जब मजहबी, रूहानी, खानकाही जरूरत पेश आला हजरत और उनकी औलादों ने कयादत(नेतृत्व) फरमाई। आला हजरत ने इश्के रसूल की बुनियाद पर इल्म के गहरे समंदर में डूब कर बेशकीमती मोती हासिल कर लिए थे। आज उसी इल्म से दुनिया फैज पा रही है।