
दिल्ली । मामला मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के सिवनी मालवा में रहने वाली एक 6 साल की मासूम बच्ची का है । जहाँ आरोपी ने दो जनवरी को रात के समय घर के बाहर सो रही बच्ची का उसके घर से अपहरण कर लिया । अपहरण के बाद तीस वर्षीय आरोपी अजय धुर्वे बच्ची को झाड़ियों के में ले गाया । जहा उसने उस मासूम बच्ची को अपनी ने हवस का शिकार बनाकर उसकी निर्दयतापूर्ण हत्या कर दी। बाद में शव को नहर के किनारे फेंक दिया। जिसके बाद वहां की स्थानीय अदालत ने मासूम बच्ची के साथ हुए इस जघन्य अपराध पर आरोपी को कठोरता पूर्वक दंड देते हुए फांसी की सजा सुना दी।
88 दिनों में न्याय: मासूम से दरिंदगी के दोषी को फांसी की सजा
मध्यप्रदेश के सिवनी मालवा में घटित दिल दहला देने वाले एक जघन्य अपराध मामले में अदालत ने आरोपी अजय धुर्वे (30) को बलात्कार और हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है। यह निर्णय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश तबस्सुम खान की अदालत ने डीएनए रिपोर्ट दस्तावेजों और मौखिक गवाहियों के आधार पर सुनाया। अदालत ने आरोपी को पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया। उसे मृत्युदंड के साथ-साथ 3,000 रुपये जुर्माने की सजा दी गई है। इसके अलावा पीड़िता के परिवार को चार लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का भी आदेश दिया गया। इस केस की त्वरित सुनवाई और न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि आरोपी ने पुलिस पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार किया था। इसके आधार पर चार्जशीट दायर कर मुकदमा चलाया गया।
बच्ची के साथ हुए जघन्य कृत्य पर जज की कलम से निकली हृदयविदारक कविता–फैसले के दौरान न्यायाधीश तबस्सुम खान ने निर्भया मामले का उल्लेख करते हुए एक भावनात्मक कविता कहते हुए कहा, “मैं भी हूं निर्भया, फिर एक बार वही सवाल,जो नारी का अपमान करे, क्या वह इंसान कहलाने लायक है?क्या मुझे भी मिलेगा वही इंसाफ, जो उसे मिला?” अदालत के इस ऐतिहासिक फैसले को समाज में न्याय और महिला सुरक्षा के प्रति एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।