जापान के प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे का अंतिम संस्‍कार उनके निधन के ढाई महीने बाद किया जाएगा। इसके लिए जलान सरकार ने 27 सितंबर की तिथि तय की है और इस अंतिम संस्‍कार में देश-दुनिया के नेता भाग लेंगे। आप चौंके जरूर होंगे क‍ि किसी व्‍यक्‍त‍ि का उसकी मौत के ढाई महीने बाद अंतिम संस्‍कार हो सकता है क्‍या? आपका चौंकना लाजिमी हो सकता है लेकिन सच यह है क‍ि यह उनके शव का अंतिम संस्‍कार नहीं होगा, बल्‍क‍ि राजकीय रूप से प्रतीकात्‍मकात्‍मक अंतिम विदाई होगी लेकिन जापान सरकार में इस तरह की राजकीय विदाई को स्‍टेट फ्यूनरल यानी राजकीय अंतिम संस्‍कार ही कहा जाता है।

बता दें कि जापान के प्रधानमंत्री और प्रतिनिधि सभा के एक सेवारत सदस्य रहे शिंजो आबे की जापान के नारा प्रान्त के नारा शहर में यामातो-सैदाईजी स्टेशन के बाहर एक राजनीतिक कार्यक्रम में संबोधन के समय 8 जुलाई 2022 को हत्या कर दी गई थी। वह लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के उम्मीदवार के लिए भाषण दे रहे थे, तभी उनको बन्दूक से पीछे से गोली मारी गई थी।

शिंजो आबे के निधन के बाद जापान सरकार ने ऐलान किया था कि राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार 27 सितंबर को किया जाएगा। सेंट्रल टोक्यो के निप्पोन बुडोकान में 27 सितंबर को राजकीय सम्मान के साथ शिंजो आबे के अंतिम संस्कार की यह रस्म पूरी की जाएगी। इस कार्यक्रम में जापान के अलावा अन्य देशों के मेहमान शामिल होंगे। इनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं।

बता दें क‍ि जापान में राजकीय अंतिम संस्कार को स्टेट फ्यूनरल कहा जाता है। यह अंतिम संस्कार जापान सरकार की ओर से शिंजो आबे को एक श्रद्धांजलि है। इसके पीछे तर्क यह है कि शिंजो आबे सबसे लंबे समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे और उन्होंने अपने कार्यकाल में आए कई संकट का बेहतर ढंग से सामना किया, इसलिए उन्हें राजकीय अंतिम संस्‍कार का सम्मान मिलना चाहिए। यह भारत में सरकार को ओर से किसी बड़ी हस्‍ती को दिए जाने वाले राष्ट्रीय शोक की तरह है, जिसमें मृतक को बंदूकों की सलामी दी जाती है। यह राजकीय सम्‍मान के साथ किसी व्‍यक्‍तित्‍व को सांकेतिक अंतिम विदाई मानी जाती है। जापान में यह सार्वजनिक कार्यक्रम होता है, जिसमें देश की जनता भी हिस्सा लेती है।
यहां उल्‍लेखनीय है क‍ि वैसे, जुलाई में ही शिंजो आबे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। उस वक्त किए गए अंतिम संस्कार को प्राइवेट फ्यूनरल कहा जाता है, जिसमें सिर्फ घर वाले और खास लोगों ने ही हिस्सा लिया था। अब स्टेट फ्यूनरल में जनता, उन्हें चाहने वाले, दूसरे देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।

अलबत्‍ता, जापान में शिंजो अबे को स्टेट फ्यूनरल का विरोध क्यों किया जा रहा है। इसके पीछे विरोध करने वालों का कहना है कि अब राजकीय अंतिम संस्कार देना सरकारी धन का बेवजह इस्तेमाल करने जैसा है। लोगों का कहना है कि इससे जनता की ओर से विकास कार्यों के लिए दिए जाने वाले टैक्स के धन का इस्तेमाल सही दिशा में नहीं किया जाएगा। इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका भी दायर की जा चुकी है. लेकिन, जापान सरकार का कहना है कि देश के बड़े नेता को सम्मान देना आवश्यक है। इसी तर्क के साथ जापान सरकार शिंजो अबे का राजकीय अंतिम संस्कार कराने जा रही है।

बता दें कि वर्ष 1967 के बाद जापान में किसी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा है। उस समय प्रधानमंत्री रहे युशीदा शिंगेरू का राजकीय अंतिम संस्कार किया गया था और अब राजकीय अंतिम संस्‍कार पाने वाले शिंजो आबे जापान के दूसरे प्रधानमंत्री होंगे।

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