लखनऊ। समाजवादी पार्टी अपने राष्ट्रीय अधिवेशन के जरिये चुनावी जमीन तैयार करने की रणनीति बना रही है। 28 और 29 सितंबर को लखनऊ में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय और प्रदेश संगठन को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा।
मिशन 2024 के लिहाज से पार्टी का यह आयोजन खास माना जा रहा है। सपा इससे पहले निकाय चुनाव में अपना दमखम दिखाने की तैयारी में है। सपा परिवारवाद के साए से निकलने के प्रयास में लगे अखिलेश इसके जरिए बहुत कुछ तय कर सकते हैं। पार्टी इस सम्मलेन को ऐतिहासिक बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
यह सम्मेलन अखिलेश के नेतृत्व में हो रहा है। पार्टी के संरक्षक भी इसमें शामिल होंगे या नहीं, यह कहा नहीं जा सकता।
चाचा शिवपाल पहले ही अलग हो चुके हैं। हालांकि राज्य के सबसे बड़े सियासी परिवार के सभी सदस्य अखिलेश को अपना नेता मान चुके हैं। सपा के सूत्र बताते हैं कि अधिवेशन में ऊजार्वान सदस्यों को तवज्जो दी जा सकती है। दूसरे दल से आए नेताओं को भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। आंदोलन से निकले नेताओं को भी मौका दिए जाने की चर्चा है। सपा इस बार लोकसभा सीटों पर मजबूत प्रत्याशी चुनने का काम समय रहते करने की तैयारी में है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो सपा ने अभी साफ नहीं किया है कि भाजपा विरोधी मोर्चे में वह कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार करेगी या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सियासी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का जरिया बनेगा। इस बाबत संभव है कि सपा राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनी राय साफ करे, लेकिन इतना तय है कि सपा इस संभावित मोर्चे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहती है।
सपा में इस समय सभी संगठन भंग चल रहे हैं। यह देखने की बात होगी कि नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को बनाए रखता है या फिर ओबीसी से किसी अन्य को यह जिम्मेदारी दी जाती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुछ पुराने चेहरों के अलावा नए लोग भी रखे जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष तय होने के बाद नए सिरे से प्रदेश कार्यकारिणी गठित होगी। इसके बाद जिला अध्यक्ष तय होंगे जो बूथ तक कमेटी गठित करने में सहयोग करेंगे।
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि पार्टी 28 और 29 सितंबर को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में अपना राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करेगी। इसमें देशभर से लगभग दस हजार लोग हिस्सा लेंगे। इसके अलावा इसमें राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक कई प्रस्ताव पारित होंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रकिया होगी। इसके साथ ही लोकसभा और निकाय चुनाव की रणनीति पर चर्चा होगी।