देहरादून। उत्तराखंड में अब आजीवन कारावास में बंद महिला और पुरुष कैदी समान सजा के बाद रिहा हो सकेंगे। रिहाई के लिए उन्हें अच्छे आचरण, अपराध की प्रकृति और आयु की कसौटी पर परखा जाएगा। 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर उनकी रिहाई हो सकेगी। शासन ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।

दरअसल, प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड राज्य (न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष बंदियों की सजा माफी / समय पूर्व मुक्ति के लिए) स्थायी नीति, 2022 को मंजूरी दी थी। अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी ने इसकी अधिसूचना जारी की।

उत्तराखंड मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड राज्य (न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष बंदियों की सजामाफी / समयपूर्व मुक्ति के लिए) स्थायी नीति, 2022 को मंजूरी दी थी। अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी ने इसकी अधिसूचना जारी की।

पैरोल पर रहे बंदियों की 16 साल में रिहाई नीति के तहत आजीवन कारावास के तहत अब अधिकतम 14 साल की सजा होगी।

बता दें कि अभी तक महिलाओं के लिए 14 साल और पुरुषों के लिए 16 साल की सजा का प्रावधान था, लेकिन अब ऐसे सिद्धदोष महिला व पुरुष बंदी जिनकी बिना पैरोल के 14 साल और पैरोल के साथ 16 वर्ष की सजा पूरी हो गई है, उनकी सजा माफ हो सकेगी। इसी तरह 70 वर्ष से अधिक आयु के बगैर पैरोल वाले बंदी 12 वर्ष और पैरोल पर रहे 14 वर्ष और 80 वर्ष से अधिक उम्र के कैदी बगैर पैरोल 10 वर्ष और पैरोल के साथ 12 वर्ष में रिहा हो सकेंगे।

ऐसे मामलों पर विचार करने के लिए प्रमुख सचिव या सचिव गृह की अध्यक्षता में एक कमेटी होगी। इस कमेटी में प्रमुख सचिव या सचिव न्याय एवं विधि परामर्शी, प्रमुख सचिव या सचिव गृह और अपर सचिव गृह (कारागार) सदस्य होंगे, जबकि महानिरीक्षक कारागार सदस्य सचिव होंगे। अपराध की प्रकृति के साथ बंदियों की रिहाई पर निर्णय होगा।

आजीवन कारावास की सजा से दंडित बंदियों को 50 हजार रुपये के एक निजी मुचलके की शर्त पर रिहा किया जाएगा। यदि कोई बंदी गलती से रिहा हो जाता है तो उसे दोबारा जेल भेजा जा सकेगा। 13 से अधिक गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बंदियों को भी रिहाई मिल सकेगी।

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