बरेली@LeaderPost। मनुष्य को जीव की चर्चा में नहीं बल्कि जगदीश की चर्चा में रहना चाहिए। वह जीव धन्य है जो भगवान में लग जाता है। मानस जी को निरंतर पढ़ने वाले लोगों के लिए भी अपने चित्त की गति पर नियंत्रण रखना आवश्यक होता है। मनुष्य के चित्त की गति जैसी होती है उसे मानस जी से प्राप्ति भी उसी प्रकार से होती है। मॉडल टाउन स्थित श्री हरि मंदिर में आयोजित श्री राम कथा में परम पूज्य मानस मर्मज्ञ प्रेम भूषण महाराज ने यहां स्थित श्रोताओं को कथा पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जब कर्म बिगड़ता है तो उसे भोग योनि प्राप्त होती है। भोग योनि में जीव को कर्म का बंधन नहीं लगता है। कुत्ते, बिल्ली, गधे आदि जीव अपने जीवन भर केवल भोग करते हैं। वह भी योनि में सारे भोग भोग लेने के बाद पुनः उसे जीव को मनुष्य का शरीर प्राप्त होता है ताकि वह अपने कर्मों के माध्यम से एक बार पुनः भगवान से जुड़ सके। इसके बाद भी अगर मनुष्य का शरीर पाकर भी कोई भोग योनि में ही रहना चाहता है तो क्या कहा जा सकता है?
पूज्य श्री ने कहा कि हर मनुष्य सुबह से शाम तक कुछ ना कुछ काम करता ही रहता है। लेकिन उसका किया हुआ हर कार्य, चाहे वह किसी के लिए भी कर रहा हो, कर्ज की अदायगी के अलावा और कुछ भी नहीं है। इस तरह के कार्य का कोई भी फल उस मनुष्य के अपने हित में नहीं होता है। अपने लिए तो उसे हर रोज थोड़ा-थोड़ा सत्कर्म ही करना आवश्यक होता है।
महाराज जी ने श्रीराम जन्मोत्सव और बाललीला प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि मनुष्य का शरीर धारण करने का एकमात्र उद्देश्य सत्कर्म करना ही है। इस धरा से वापस जाने पर केवल सत्कर्म ही है अपने साथ जाता है।
महाराज जी ने कहा कि सनातन धर्म विश्वास पर ही टिका है। धरती और संसार भगवान की रचना है तथा इसकी हर रचना पर भगवान की दृष्टि है। भगवान को वही जान पाता है। इस अवसर पर अरूण गुप्ता, सतीश खट्टर, रवि छाबड़ा, अश्विनी ओबेरॉय, एसपी पांडे समेत तमाम लोग मौजूद रहे।