महिलाएं होती हैं बेहतर लीडर

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इंदिरा गांधी या मार्गरेट थैचर दोनों ही महिलाओं ने ‘शीर्षक’ को इस दृढ़ता से सही सिद्ध किया, कि पूरी दुनिया ने उनका लोहा मान लिया। इंदिरा गांधी को अगर प्रधानमंत्री के पद के लिए चार बार चुना गया तो मार्गरेट पर भी तीन बार इंग्लैंड की जनता ने भरोसा किया। इन दोनों का यह लंबा कार्यकाल अपने आप में एक इतिहास है।

साल दर साल घर से बाहर निकल कर प्रोफेशनल दुनिया में दक्षता से साथ काम करने वाली महिलाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है..। लेकिन जब बात महिलाओं की उपलिब्धयां गिनाने की आती है या हर बार महिला दिवस के अवसर पर प्रमुख पदों पर आसीन महिलाओं की आती है तो यही कुछ गिने-चुने नाम सामने आते हैं।

महिलाएं लगन, मेहनत और दक्षता के साथ अपने काम को पूरा करती हैं। इस बात को समय-समय पर सभी ने माना है। यही नहीं कुछ कंपनियों ने तो इसी बात को ध्यान में रखकर अपने यहां महिला कर्मचारियों की भर्ती को प्राथमिकता भी दी है लेकिन जब बात प्रमुख, सर्वोच्च या महत्वपूर्ण पदों की आती है तो महिलाओं की सारी योग्यताओं को दरकिनार कर पुरुषों को प्राथमिकता दे दी जाती है। पिछले दिनों अमेरिका में हुए एक शोध ने इस बात को साबित किया है कि जब भी महिलाएं मेयर या ऐसे किसी प्रमुख पद से जुड़ती हैं तो पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा दृढ़ता और गंभीरता से जनहित संबंधी मुद्दे उठा पाती हैं और समस्याओं का निराकरण कर पाती हैं।

यह शोध कहता है कि राजनीति सहित अन्य क्षेत्रों में प्रमुख पदों पर महिलाओं का होना आमजन के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। इस शोध ने एक बार फिर से समान काम-असमान वेतन तथा सुविधाएं तथा इसी तरह के अन्य मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करवा दिया है। देखना है कि नीति निर्धारक इस बारे में क्या और कितना कर पाते हैं? उम्मीद करें कि आने वाले वर्षों में ऊंचे पदों पर बैठी महिलाओं की लिस्ट लंबी नजर आए।

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