पटना। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें फिर बढ़ने जा रही हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लालू प्रसाद के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला फिर से खोल दिया है। यह मामला एक प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी को आवंटित भारतीय रेलवे की विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित है। मामला उस समय का है, जब राजद प्रमुख केंद्र की यूपीए-2 सरकार में रेलमंत्री थे। सीबीआई ने लालू प्रसाद के अलावा उनके बेटे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और दो बेटियों रजनी यादव और चंदा यादव को भी मामले में आरोपी बनाया है।
गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव इस समय सिंगापुर में गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने उन्हें अपनी एक किडनी दान की है।
पहले बंद हो गया था मामला
लालू प्रसार यादव के खिलाफ यह मामला वर्ष 2018 में दर्ज किया गया था और मई 2021 में बंद कर दिया गया था। रेलमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान लालू प्रसाद ने कथित तौर पर दिल्ली की एक शीर्ष रियल एस्टेट कंपनी द्वारा वित्त पोषित एक शेल कंपनी को दिल्ली और मुंबई में दो परियोजनाएं आवंटित कीं और बदले में दक्षिण दिल्ली में एक संपत्ति ली।
राजद ने बताया फंसाने की साजिश
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि भाजपा विपक्षी नेताओं के खिलाफ साजिश कर रही है। वे अपने निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। भाजपा नेता संविधान और संवैधानिक एजेंसियों को नष्ट कर रहे हैं। वे लालू को फंसाना चाहते हैं, ताकि वह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर से जेल चले जाएं। राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि सीबीआई ने वर्ष 2018 में उनके कार्यकाल के नौ साल बाद मामला दर्ज किया और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने पर मई 2021 में बंद कर दिया।
वहीं, भाजपा प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि सीबीआई एक स्वतंत्र एजेंसी है और इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। जांच एजेंसी ने मामला फिर से खोल दिया है, क्योंकि उसका मानना है कि लालू भ्रष्टाचार में शामिल थे। भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है।