बरेली। 17 दिसंबर से 25 दिसंबर तक आयोजित एकात्म यात्रा मंगलवार को में थीं। यहां एकात्म यात्रा रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय पहुंची, जहां विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर त्रिलोचन शर्मा एवं छात्रों से एकात्म संवाद हुआ।
कार्यक्रम में एकात्म चर्चा हुई, जिसमें पंडित दीन दयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन के विषय में एवं राम राज्य की अवधारणा के माध्यम से जन-जन में सामाजिक समरसता व कुटुंब प्रबोधन को कैसे पुनर्स्थापित किया जाए, इस पर विमर्श हुआ।

लोकनीति के निदेशक और यात्रा संयोजक सत्येंद्र ने बताया कि आज सम्पूर्ण में भारत की ओर से सभी अंतर्राष्ट्रीय विषयों में दखल देने का आग्रह किया जा रहा है। यह केवल भारत की आध्यात्मिक इच्छा शक्ति और आध्यात्मिक दर्शन के कारण संभव हुआ है, इसलिए यह आवश्यक है कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए हम सब को वैचारिक रूप से समृद्ध और सशक्त होना पड़ेगा। पंडित दीन दयाल का एकात्म मानव दर्शन भारत के विकास का सूत्रधार सिद्ध होगा और आने वाली 21वीं सदी भारत की ही होगी।

चलो जाने रामराज्य के अभियान प्रमुख, आध्यात्मिक चिंतक और यात्रा संयोजक डॉ. विवेक तांगड़ी ने बताया कि आज के युग में राष्ट्र का उत्थान धार्मिक और अध्यात्म के मिलन से ही संभव है। 7500 वर्ष पूर्व के राम राज्य को आज भी धरातल पर लाने के लिए युवाओं और आमजन के सकारात्मक योगदान कि विशेष आवश्यकता है। आज युवाओं को आवश्यकता है कि वो अपनी आध्यात्मिक सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाएं और राष्ट्र के हित का चिंतन करें, तभी आज के युग में राम राज्य संभव हो पाएगा।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनंत अखाड़ा, अलखनाथ मंदिर के महंत कालू गिर, उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के सदस्य, पवन अरोड़ा, विश्व हिन्दू परिषद बरेली महानगर के उपाध्यक्ष राजेश पाठक, पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य पूरन लाल लोधी, मनोज यादव उपाध्यक्ष भाजपा ओबीसी मोर्चा बरेली, रामाशीष (आशीष यादव) संस्थापक नाथ नगरी रक्तदान सेवा समिति एवं बरेली के कार्यक्रम के संयोजक प्रबल प्रताप सिंह मौजूद रहे।

बता दें कि एकात्म यात्रा मथुरा से प्रारंभ होकर नोयडा, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, अयोध्या, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, जौनपुर, काशी, प्रयागराज, चित्रकूट, बांदा, झांसी, बिठूर, उन्नाव से लखनऊ तक प्रदेश के 30 जिलों को, 18 विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में एकात्म संवाद एवं यात्रा के विभिन्न पड़ाव स्थलों पर एकात्म संवाद, एकात्म चर्चा, ग्रामीण एकात्म संवाद, विचार गोष्ठी, चाय पर चर्चा और सामाजिक सांस्कृतिक संवाद के माध्यम से कवर करेगी। इस यात्रा के माध्यम से प्रदेश की 6 करोड़ 14 लाख जनता के बीच यात्रा के उद्देश्य का चिंतन प्रवाह होगा।

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