नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में 17,000 फुट ऊंची चोटी पर भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच झड़प के बाद चोटी पर भारत का कड़ा नियंत्रण है और अब दोनों पक्ष इस क्षेत्र से अलग हो गए हैं। झड़प विगत 9 दिसंबर को हुई थी। झड़प के बाद चोटी पर भारत का मजबूत नियंत्रण है।

यह चोटी 17,000 फुट ऊंची है और सीमा के दोनों ओर एक शानदार द़श्य प्रदान करती है और बहुत ही रणनीतिक है। जहां टकराव हुआ, वह जगह अहम थी। चीन बार-बार चोटी पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।

अरुणाचल प्रदेश में 9 दिसंबर की झड़प के बाद भारतीय और चीनी दोनों सेनाओं के एरिया कमांडरों ने फ्लैग मीटिंग की। दोनों पक्ष भी तुरंत इलाके से हट गए। दोनों सेनाओं के एरिया कमांडरों ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए संरचित तंत्र के अनुसार चर्चा की। बता दें कि 9 दिसंबर को पीएलए के करीब 300 सैनिक तवांग सेक्टर में एलएसी के करीब आ गए, जिससे झड़प शुरू हो गई। इस झड़प में भारतीय और चीनी दोनों सैनिकों को चोटें आईं और घायलों में से छह को गुवाहाटी के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

पूर्वी लद्दाख में टकराव के बाद से यह पहली घटना है कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच इस तरह की झड़प हुई है। इस महीने की शुरुआत में चीन ने उत्तराखंड के औली में भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास पर भी आपत्ति जताई थी। भारत ने चीन की आपत्ति को खारिज किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि संयुक्त अभ्यास का चीन के साथ 1993 और 1996 के समझौतों से कोई लेना-देना नहीं है।

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