बरेली@LeaderPost। इत्तेहाद-ए- मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के मुखिया मौलाना तौकीर रजा खां ने अपनी सियासी पार्टी के बैनर के नीचे 23 हिंदू युवाओं का निकाह कराने का ऐलान किया है। इसके लिए आईएमसी की तरफ से प्रशासन से अनुमति भी मांगी है। लेकिन अभी प्रशासन की तरफ से अनुमति नहीं मिली है। मौलाना का कहना है कि इन हिंदू युवाओं की इस्लाम में आस्था है। उन्होंने धर्म परिवर्तन करने और उन मुस्लिम युवक-युवतियों से निकाह कराने के लिए आईएमसी से संपर्क किया है। यह सभी उनके साथ पहले से रह रहे हैं। यह बात आईएमसी प्रमुख ने सोमवार देर शाम अपने आवास पर मीडिया से बात में कही। बोले, दो साल पहले दरगाह आला हजरत पर यह पाबंदी लगाई गई थी। इसमें युवा किसी लालच में या इश्क के कारण इस्लाम कबूल करना चाहते हैं, तो उन्हें मुसलमान नहीं बनाया जाएगा।
मौलाना ने कहा कि पहले चरण में पांच जोड़ों का सामूहिक निकाह खलील हायर सेकेंड्री स्कूल में 21 जुलाई को कराया जाएगा। मगर, उन्होंने सुरक्षा की दृष्टि से अभी इन युवाओं का ब्योरा जारी नहीं किया। ऐसे युवक-युवती जो लिव इन में रहकर हराम काम कर रहे हैं। वह उन्हें इससे बचाना चाहते हैं। मौलाना ने कहा कि आज तक न जाने कितनी मुस्लिम लड़कियों ने धर्म परिवर्तन कर लिया। उन्होंने कोई विरोध नहीं किया। उम्मीद है कि उनके इस कार्यक्रम का भी कोई विरोध नहीं होगा। यह कोई गैर कानूनी काम भी नहीं है। संविधान इसकी इजाजत देता है। इस दौरान डॉ.नफीस खान, मुनीर इदरीसी, नदीम कुरैशी, मौलाना एहसानुल हक चतुर्वेदी समेत तमाम लोग मौजूद थे।
चरण में 21 जुलाई को पांच हिंदू युवाओं का सामूहिक निकाह कराने की अनुमति मांगी है। सिटी मजिस्ट्रेट को दिए पत्र में बताया गया है कि इन हिंदू युवक-युवतियों की इस्लाम में आस्था है और वह धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम लड़के और लड़कियों से शादी करना चाहते हैं। उन्हें किसी तरह का प्रलोभन नहीं दिया गया है और न कोई दबाव डाला गया है। इसके लिए शपथ पत्र देने को तैयार हैं। मौलाना ने कहा कि प्रशासन से अभी कोई जवाब नहीं मिला है, लेकिन उम्मीद है कि अनुमति मिल जाएगी क्योंकि वह कोई गैर कानूनी काम नहीं कर रहे हैं।
जानें क्या बोले शहर इमाम
शहर की शाही जामा मस्जिद के शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने मौलाना तौकीर के एलान पर मीडिया के पूछने पर बताया कि आईएमसी के इस आयोजन के सियासी मायने क्या हैं। यह तो वह नहीं जानते। मगर, यह सही है कि बिना निकाह के एक साथ रहना इस्लाम में पूरी तरह नाजायज और हराम काम है। उन्होंने कहा कि अगर बिना किसी जोर-जबर्दस्ती के सामूहिक निकाह कराया जा रहा है,तो इस्लाम इसकी इजाजत देता है। शरई तौर पर इसमें कोई भी गलत बात नहीं है।
आईएमसी के संगठन प्रभारी नदीम कुरैशी ने 21 जुलाई को सामूहिक निकाह के लिए अनुमति के लिए आवेदन किया है। इसमें मेरे स्तर से यह आवेदन जांच के लिए पुलिस को भेज दिया गया है। पुलिस रिपोर्ट के आधार पर आगे फैसला लिया जाएगा- सिटी मजिस्ट्रेट राजीव शुक्ला।