गुलाम नबी आजाद: गांधी परिवार के खास रहे, मोदी सरकार ने पद्म भूषण से नवाजा था

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नई दिल्ली। कांग्रेस छोड़ने वाले गुलाम नबी आजाद गांधी परिवार की पीढ़ियों के बेहद करीबी रहे। वह कांग्रेस के जी-23 के एक अहम नेता के तौर पर उभर कर सामने आए। गुलाम नबी आजाद का केवल जम्मू कश्मीर ही नहीं, देश के सभी राज्यों के पार्टी संगठन में दखल रहा है।
आजाद ने कांग्रेस से अपने राजनीतिक करिअर की शुरुआत साल 1973 में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के तौर पर की थी। उसके बाद उनके काम, उनके कुशल नेतृत्व को देखते हुए पार्टी ने उन्हें युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी। उनके राजनीतिक करिअर में तब उछाल आया, जब उन्होंने वर्ष 1980 महाराष्ट्र में वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से पहला लोकसभा का चुनाव जीता और संसद पहुंचे। उन्हें 1982 में केंद्रीय मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल किया गया। वर्ष 2005 में उनको कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर जीत हासिल की। आजाद ने यूपीए-2 की सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा संभाला। वह नरसिम्हा राव की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री रहे। यह अलग बात है कि मोदी सरकार ने उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।

अब बनाएंगे अपनी पार्टी

कांग्रेस छोड़ने के बाद वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद अपनी पार्टी बना सकते हैं। उनके कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अब सबकी निगाहें उनके अगले कदम पर लगी हुई हैं। इस बीच खबरें हैं कि वह जम्मू-कश्मीर में अपनी पार्टी बना सकते हैं। हालांकि अभी उन्होंने इस बावत कोई ऐलान नहीं किया है और न ही उनकी नई बनने वाली पार्टी के नाम को लेकर कोई जानकारी ही सामने आई है लेकिन समझा जा रहा है कि वह अपनी पार्टी बनाने का ऐलान जल्द कर सकते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि उनको अभी कांग्रेस में और उथल-पुथल का इंतजार है। समझा जा रहा है कि जल्द ही उनके समर्थक कांग्रेस छोड़ देंगे। इतना ही नहीं, पार्टी में और भी बड़े नेता बगावत कर सकते हैं।

राहुल गांधी पर साधा निशाना
वहीं, गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लिखे इस्तीफा पत्र में राहुल गांधी की लीडरशिप पर सवाल उठाए हैं। कहा कि जनवरी 2013 में राहुल गांधी को कांग्रेस उपाध्यक्ष बनाया गया, उसके बाद पार्टी में मौजूद सलाह-मशविरे के सिस्टम को उन्होंने खत्म कर दिया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइड लाइन कर दिया गया और बिना अनुभव वाले चाटुकारों की मंडली पार्टी को चलाने लगी। आजाद ने लिखा कि राहुल गांधी की अपरिपक्वता का एक बड़ा उदाहरण मीडिया के सामने सरकारी अध्यादेश को फाड़ना था।

कांग्रेस ने कहा- आजाद का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण
कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा के बाद शुक्रवार को कहा कि यह अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ रही है, तब यह इस्तीफा हुआ है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि त्यागपत्र में कही गई बातें तथ्यपरक नहीं हैं, इसका समय भी ठीक नहीं है। वहीं, पार्टी महासचिव अजय माकन ने कहा कि यह अत्यंत दुख की बात है कि जब कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ रही है तो उस समय यह त्यागपत्र आया। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते थे कि आजाद जैसे वरिष्ठ नेता विपक्ष और जनता की आवाज को बल देंगे, लेकिन उन्होंने यह नहीं किया।

जयराम रमेश ने किया ट्वीट- जीएए का डीएनए ‘मोडी-फाइड’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, एक व्यक्ति जिसके साथ कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सबसे अधिक सम्मान के साथ व्यवहार किया गया है, उसने अपने शातिर व्यक्तिगत हमलों से धोखा दिया है जो उसके असली चरित्र को उजागर करता है। जीएनए (गुलाम नबी आजाद) का डीएनए ‘मोडी-फाइड’ है।

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