महाराष्ट्र के सोलापुर में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां विभिन्न आयु वर्ग के करीब 50 लोग गाजे-बाजे के साथ दूल्हे की वेशभूषा में घोड़ों पर सवार होकर जुलूस के रूप में कलेक्टर के पास पहुंचे और मांग की कि उनको दुल्हन दी जाए।

सभी दूल्हों ने शेरवानी या फिर कुर्ता-पायजामा पहन रखे थे और अपने गले में तख्तियां लिए हुए थे। एक किलोमीटर लंबे जुलूस इस जुलूस का मकसद सरकार का ध्यान खींचना था।

तख्तियों पर ये नारे लिखे हुए थे-
‘एक पत्नी चाहिए, एक पत्नी!’
‘मुझसे शादी करने के लिए कोई भी एक लड़की दे सकता है!’
‘सरकार, होश में आओ और हमसे बात करो, तुम्हें हमारी दुर्दशा पर ध्यान देना होगा!’

दिलचस्प यह कि जुलूस में शामिल एक 12 साल के बच्चे ने अपनी तख्ती पर लिखा हुआ था- ‘मेरी शादी होगी या नहीं?’

लड़कियों की कमी की समस्या को उजागर करना है मकसद
दरअसल, यह जुलूस-मार्च ज्योति क्रांति परिषद (जेकेपी) एनजीओ की ओर से आयोजित किया गया, जो सोलापुर और आसपास के अन्य जिलों के ग्रामीण इलाकों के लड़कों की शादी के लिए लड़कियां न मिलने की बड़ी समस्या को उजागर करने के लिए निकाला गया। जुलूस के जरिए महाराष्ट्र में पुरुष-महिला अनुपात में सुधार के लिए प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट को सख्ती से लागू करने की मांग की गई।

जेकेपी के अध्यक्ष रमेश बारस्कर के अनुसार, जुलूस में सभी कुंवारे लोग 25-40 के बीच की उम्र के थे, ज्यादातर पढ़े-लिखे और सम्मानित मध्यवर्गीय परिवारों से थे, जिनमें कुछ किसान, कुछ निजी कंपनियों में काम करने वाले भी थे।

दरअसल, स्त्री-पुरूष अनुपात बिगड़ने के कारण, इन स्वस्थ, कमाऊ और सक्षम पुरुषों को वर्षों तक विवाह के लिए लड़कियां नहीं मिलती। स्थिति इतनी खराब है कि वे किसी भी लड़की से शादी के लिए तैयार हैं, जाति, धर्म, विधवा, अनाथ, कुछ मायने नहीं रखता।

जुलूस कलेक्ट्रेट पर समाप्त हुआ, जहां ‘दूल्हों’ ने बैठकर अपनी पीड़ा बताई और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को संबोधित करते हुए अपना मांग पत्र सोलापुर के कलेक्टर मिलिंद शंभरकर को दिया।

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