बरेली। सन 2010 मे जिले मे तैनात रही एसपी ट्रैफिक कल्पना सक्सेना पर जान लेवा हमला करने वाले चार लोगों को अदालत ने दस- दस साल कैद की सजा सुनाई। सजा पाने वालों मे तीन सिपाही भी शामिल हैं। कल्पना सक्सेना इस वक्त गाजियाबाद मे एडीशनल पुलिस कमिश्नर पद पर काम कर रही हैं
यह था मामला
2 दिसंबर 2010 को तत्कालीन एसपी टै्रफिक कल्पना सक्सेना को पता चला कि थाना कैंट में शाहजहांपुर रोड पर मजार के पास कुछ लोग ट्रकों को रोक कर अवैध वसूली कर रहे है। जब वह मौके पर पहुंची तो देखा कि ट्रैफिक पुलिस में ही काम करने वाले कुछ सिपाही ट्रक वालों से अवैध वसूली मे लगे हुए थे। वहां पर मौजूद का0 मनोज , रवींद्र, रावेंद्र व धर्मेंद्र ने उनको वहां देख कर उनके उपर कार चढा दी। एसपी ट्रेफिक ने कार के गेट मे हाथ डालकर एक सिपाही को कालर से पकड़ लिया । इस पर उस सिपाही ने कार दौड़ा दी। एसपी ट्रैफिक 150 से 200 मीटर तक कार से घसीटती रहीं। इन लोगों ने कार को आड़ा तिरछा दौड़ा कर एसपी ट्रेफिक को कुचलने की कोशिश की। जब नहीं कुचल पाए तो उन्हें धक्का देकर गिरा दिया। पीछे से भागते हुए आ रहे उनके स्टाफ ने एसपी ट्रेफिक को उठाया और अस्पताल ले गए।
विशेष लोक अभियोजक मनोज बाजपेई ने गवाही कराई
मामला जब कोर्ट में आया तो इसकी कमान विशेष लोक अभियोजन मनोज बाजपेई ने संभाली। उन्होंने बतौर गवाह कल्पना सक्सेना को तो पेश किया ही साथ में 13 गवाह और पेश किए। इन सभी लोगों ने अभियोजन पक्ष की बात का मजबूती से समर्थना किया।
अदालत का फैसला
कोर्ट ने अपने फैसला सुनाते हुए का0 मनोज कुमार, का0 रावेंद्र सिंह, का0 रविंद्र सिंह व धमेंद्र को दोषी माना और चारों लोगों को दस-दस साल कैद की सजा सुनाई । इसके अलावा चारों लोगों पर 1-1 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया। जुर्माने की आधी राशि कोर्ट ने चुटैल कल्पना सक्सेना को हर्जाने के रूप में देने का आदेश भी किया।
कोर्ट ने कहा
विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि यदि लोक सेवक पुलिस कर्मचारीगण अपने वरिष्ठ लोकसेवक पुलिस अधिकारी का उनके आने पर अभिवादन न करके उन्हें जान से मारने का प्रयास किया जा रहा है तो उनका सामान्य जनता के साथ व्यवहार कैसा रहता होगा। हमारे देश के वरिष्ठ अधिकारियों, नेताओं व अन्य मशहूर लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाती है । यदि इन लोगों के द्वारा ही ऐसा काम किया जाएगा तो यह सोचकर ही दिल बैठ जाता है।
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