डॉग पालना न सिर्फ एक शौक है, बल्‍क‍ि लोग उनको इसलिए भी पालते हैं, क्‍योंकि यह माना जाता है क‍ि वे अपने मालिक के लिए वफादार होते हैं लेकिन यह बात डॉग की एक ब्रीड- पिटबुल के मामले में अब गलत साबित हो रही है। हाल में पिटबुल डॉग के लोगों पर हमले बढ़ने के कारण लोग अपने पालतू कुत्तों से पीछा छुड़ाने लगे हैं।

लखनऊ। पिछले कुछ दिनों से देश में कुत्तों के हमले के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इन घटनाओं में लखनऊ में एक पालतू पिटबुल द्वारा अपनी मालकिन को काटने के बाद मौत होने की घटना ने काफी चर्चा बटोरी थी। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुत्तों द्वारा हमला किए जाने की कई और घटनाएं सामने आई हैं। नतीजतन, लोगों में अब अपने पालतू डॉग को लेकर ही डर का माहौल पनपने लगा है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी में पालतू कुत्तों के हमले की खबर जैसे-जैसे सामने आ रही है, लोग घबराने लगे हैं। लोग नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क कर पालतू पिटबुल को छोड़ने की बात कह रहे हैं। नगर एक अधिकारी का कहना है क‍ि हमले की घटनाओं के बाद लोग अब पिटबुल रखने से डर रहे हैं, खासकर वे लोग, जिनके घर में बच्चे हैं, लेकिन समस्या यह है कि हमारे पास इतने सारे पिटबुल की देखभाल करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है।
लखनऊ में रहने वाले हरीश चंद्र तिवारी के अनुसार, “वह अपने तीन साल के पिटबुल डॉगी से काफी प्यार करते थे, लेकिन अब वह इसे पालने में घबरा रहे हैं। हरीश चंद्र तिवारी ने कहा क‍ि मेरे दो पोते-पोतियां हैं, जो कुत्ते के साथ खेलते हैं। आपको नहीं पता होता कि पिटबुल कब हिंसक हो जाए। पिटबुल द्वारा हमले किए जाने के मामले अलग-अलग जगहों से सामने आ रहे हैं। मैंने ऐसे लोगों से बात की है जो कुत्ते को गोद लेने के इच्छुक हो सकते हैं, लेकिन कोई भी तैयार नहीं है। मैं चाहता हूं कि मेरे कुत्ते की देखभाल की जाए और मैं उसे सड़कों पर नहीं छोड़ सकता।”

नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा कि जब एक पिटबुल ने जुलाई में अपने 82 वर्षीय मालिक को मौत के घाट उतार दिया तो आठ से अधिक लोगों ने कुत्ते को गोद लेने की पेशकश की थी, लेकिन अब सोच बदल गई है। उन्होंने कहा, मेरठ, नोएडा और लखनऊ में हमलों के बाद, लोग अब पिटबुल को गोद लेने से डर रहे हैं। नोएडा में कम से कम पांच से छह पिटबुल को उनके मालिकों ने एक एनजीओ के बाहर छोड़ दिया।
नोएडा में एक NGO हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स के पास पिछले 2 महीने में कम से कम 5 से 6 मालिक अपने पिटबुल को छोड़ गए। एनजीओ के पास देशभर में कम से कम से 200 पिटबुल मालिकों के फोन आ चुके हैं. ये लोग अपने कुत्ते को छोड़ना चाहते हैं।

ये हैं हालिया घटनाएं

-लखनऊ के कैसरबाग थाना क्षेत्र में 80 साल की महिला को पिटबुल कुत्ते ने नोच खाया था। यह महिला रिटायर्ड टीचर थीं और उनको कुत्ते ने इस तरह से काटा था कि महिला का मांस तक अलग हो गया था। उस दौरान महिला घर में अकेली थी और उनका जिम ट्रेनर बेटा जिम गया हुआ था।
-अगस्‍त माह में गुरुग्राम में सिविल लाइन रोड पर पिटबुल नस्ल के कुत्ते ने एक महिला को झपट्टा मारकर घायल कर दिया। कुत्ते ने अपने जबड़ों से महिला का पूरा सिर दबोच लिया था। महिला अपने डयूटी पर जा रही थी। इस मामले में पुलिस ने डागी की मालकिन के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की थी।
-मेरठ जिले के मवाना कस्बे में अगस्‍त माह में पिटबुल नस्ल के एक कुत्ते ने एक किशोर पर हमला कर दिया। मवाना में पुलिस चौकी के पास स्थित दुकान स्वामी के पिटबुल कुत्ते ने बाइक मिस्त्री के पास काम सीख रहे किशोर को काटकर बुरी तरह घायल कर दिया। गंभीर अवस्था में किशोर को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
-3 सितंबर को गाजियाबाद में पिटबुल ने एक 10 साल के बच्चे पर अटैक किया और घायल कर दिया। बच्‍चे को 150 टांके लगाने पड़े।
-उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमती नगर के विराम खंड इलाके में एक पिटबुल डॉग ने युवक पर हमला कर दिया। पार्क में टहलते समय यह घटना हुई है और युवक घायल हो गया है। अपने बेटे को बचाने के लिए जा रही मां भी फिसलकर गिरने से चोटिल हो गई। दोनों को अस्पताल ले जाकर प्राथमिक उपचार करवाया गया।

40 देशों में प्रतिबंधित है पिटबुल डॉग

हाल में लोगों पर हमले की जो घटनाएं सामने आई हैं, उनको पिटबुल डॉग ने अंजाम दिया है। नतीजतन, इस ब्रीड को आक्रामक माना जाने लगा है। वैसे, यह पहली बार नहीं है जब डॉग की यह ब्रीड घातक बनकर उभरी है। दुनिया के 40 से ज्‍यादा देशों में इसलिए इस ब्रीड पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
बता दें क‍ि पिट बॉल शब्द अमेरिका में बुलडॉग और टेरियर्स के वंशजों की नस्ल के कुत्तों को कहा जाता है, वहीं यूके जैसे दूसरे देशों में इसे अमेरिकन बिट बुल टेरियर यानि एपीबीटी नाम से जाना जाता है। यह वास्तव में कुत्तों की कुछ प्राजातियों का संकर रूप की नस्ल मानी जाती है, लेकिन इंग्लैंड में इसे बुल एंड टेरियर डॉग के साथ अमेरिकन बुली टाइप डॉग के संकर से बनाया गया था। इस तरह के कुत्ते वास्तव में अपने लड़ने की आदतों से अमेरिका और दुनिया के कई अन्य देशों में बदनाम हैं।
पिट बुल कुत्ते सामान्य कुत्तों से मजबूत कुत्ते माने जाते हैं। ये बहुत सक्रिय, शक्तिशाली और मजबूत जबड़े के जाने जाते हैं। साहसी, निडर और और लड़ाकू कुत्ते माने जाते हैं। दुनिया में कई जगह इन्हें डॉगफाइटिंग खेल के लिए उपयोगी माना जाता है। अमेरिका जैसे देश में भी डॉगफाइटिंग पर प्रतिबंध होने के बाद भी यह खेल होता है और इनमें पिट डॉग पहली पसंद होते हैं। यह भी सच है कि कई देशों में पिट बुल कुत्तों पर प्रतिबंध है। इन देशों में इंग्लैड, फ्रांस, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड, इजराइल, मलेशिया आदि शामिल हैं। इसके अलावा बेल्जियम, जापान, जर्मनी, चीन ब्राजील के कुछ हिस्सों में इन पर प्रतिबंध हैं। इन देशों में पिट बुल को पालना, उनका व्यवसाय करना, उनका प्रजनन करने पर पाबंदियां लगाई गई हैं।
पिटबुल आखिर इतना खूंखार रुख क्यों अपनाता है, इस पर एनजीओ पेटा के विशेषज्ञों का कहना है कि यह अलग तरह की ब्रीड का जानवर है। यह बुली ब्रीड की कैटेगरी से ताल्लुख रखता है। ये ऐसी ब्रीड है, जिसका इस्तेमाल सांड और भालुओं पर हमला करने के लिए किया जाता रहा है। कभी इनकी लड़ाई इंसानों के एंटरटेनमेंट का हिस्सा हुआ करती थी। बियर बेटिंग इंग्लैंड में एक खेल हुआ करता है जिसे 1835 में बंद कर दिया गया।
पेटा संस्‍था ने जुलाई में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा गया था कि जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम नियम, 2017 में संशोधन किया जाए ताकि ऐसी नस्ल वाले कुत्तों को रखने और प्रजनन पर रोक लगाई जा सके।

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