दिलचस्प होगा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए मुकाबला। शशि थरुर अंतरराष्ट्रीय चेहरा, गहलोत राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी
लीडर पोस्ट रिपोर्ट, नई दिल्ली।
कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव शुरू हो गया है। अभी तक छनकर आ रही खबरों के मुताबिक मुकाबला शशि थरुर व अशोक गहलोत के बीच हो सकता है । राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत राजनीति के पके खिलाड़ी हैं पर शशि की निगाहें कहां पर हैं, यह हमें समझना होगा।
सोमवार को सांसद शशि थरूर को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की मंजूरी मिल गई। बताया गया है कि सोनिया गांधी ने कहा कि शशि थरूर ही नहीं, पार्टी अध्यक्ष पद के लिए कोई भी चुनाव लड़ सकता है।
सोनिया गांधी से मुलाकात और मंजूरी मिलने के बाद साफ हो गया कि शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे। सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाद शशि थरूर ने कहा कि वह आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत बना सकते हैं।
बता दें कि कांग्रेस नेता शशि थरूर जी-23 नेताओं में शामिल हैं। उन्होंने वर्ष 2020 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में इंटरनल रिफॉर्म की बात की थी और इसी दौरान ही इशारों-इशारों में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की बात कह दी थी। पिछले सप्ताह थरूर ने कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन ऑथरिटी को पत्र लिखकर चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की थी। वोटरों की लिस्ट सार्वजनिक करने की मांग भी की थी।
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए कई दिनों से अशोक गहलोत का नाम भी चल रहा है। वह अध्यक्ष पद के लिए अपना पर्चा दाखिल करेंगे। ऐसे में, उनको अब शशि थरूर से चुनौती मिलेगी। अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और लोकसभा सांसद शशि थरूर के बीच मुकाबला देखने लायक होगा। हालांकि खबर यह भी है कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष खुद बनने के बजाय राहुल गांधी को इसके लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के पूरी जिम्मेदारी मधुसूदन मिस्त्री को सौंपी गई है।
कई राज्य इकाइयों ने राहुल को ही अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भेजा
राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए कई राज्यों से कांग्रेस संगठनों का प्रस्ताव पारित हो चुका है। इनमें राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ के बाद तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और बिहार तथा मुंबई की राज्य इकाइयां शामिल हैं। बताया गया है कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए सात राज्यों से कांग्रेस संगठन का प्रस्ताव पारित हो गया है। इसी तरह के प्रस्ताव वर्ष 2017 में पारित किए गए थे। इसके बाद राहुल को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था। बता दें कि राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव-2019 में पार्टी को हार मिलने के बाद ही कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। पिछले तीन साल से कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली है। सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष होने के नाते पार्टी के कामकाज को देख रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय चेहरा हैं थरुर
शशि थरूर की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर के लेखक व विचारक की है। वह यूएन में रहे हैं। कई नामचीन किताबों के लेखक हैं। केरल से सांसद थरुर अगर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तब इसका राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय असर होगा।
गहलोत बने तब बदलेगा राजस्थान का गणित
अगर अशोक गहलोत को कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना जाता है तब राजस्थान में नया सीएम बनेगा। पायलट विवाद में फंसी कांग्रेस के लिए एक नया संकट भी खड़ा हो सकता है।
17 अक्टूबर को होगा चुनाव
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अधिसूचना 22 सितंबर को जारी की जाएगी और नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 से 30 सितंबर तक चलेगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है और कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 17 अक्टूबर को होगा। नतीजे 19 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे यानी इस दिन नए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा।
ऐसे होता है कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव
कांग्रेस में हर पांच साल में चुनाव होता है। पहले हर तीन साल में संगठन के चुनाव होते थे। उसी के मुताबिक, अध्यक्ष का कार्यकाल भी तीन से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया। कांग्रेस के संविधान के अनुसार, पार्टी अध्यक्ष का चुनाव की बाकायदा प्रक्रिया है। चुनाव के लिए पहले पार्टी की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी (सीईए) का गठन किया जाता है। अथॉरिटी अध्यक्ष चुनाव का शेड्यूल बनाते हैं। वहीं, हर राज्य में एक प्रदेश रिटर्निंग अफसर और एक से दो एपीआरओ (असिस्टेंट प्रदेश रिटर्निंग अफसर) बनाए जाते हैं।
अध्यक्ष के चुनाव की शुरुआत सदस्यता अभियान से होती है, जो लगभग एक साल चलता है। इसके पूरा होने बाद बूथ कमेटी और ब्लॉक कमेटी बनती है। इसके बाद जिला कमेटी बनती है। ब्लॉक कमेटी और बूथ कमेटी मिलकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि यानी पीसीसी डेलिगेट्स चुनते हैं। हर ब्लॉक से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
हर आठ पीसीसी पर एक केंद्रीय कांग्रेस कमेटी प्रतिनिधि या एआईसीसी डेलिगेट चुना जाता है। एआईसीसी और पीसीसी का अनुपात एक और आठ का होता है। पीसीसी डेलिगेट्स के वोटों से ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष और पार्टी अध्यक्ष चुना जाता है, जबकि एआईसीसी के प्रतिनिधियों के वोटिंग से कांग्रेस वर्किंग कमेटी चुनी जाती है। वर्ष 2017 में हुए संगठन चुनावों के दौरान जहां पीसीसी की तादाद नौ हजार थी, वहीं एआईसीसी डेलिगेट्स की संख्या 1500 थी। हर नया अध्यक्ष अपनी सीडब्ल्यूसी यानी कार्यकारिणी बनाता है, जिसमें 12 सदस्य चुनकर आते हैं, जबकि 11 सदस्यों को वह मनोनीत करता है, लेकिन आमतौर पर सीडब्ल्यूसी का सदस्य अध्यक्ष ही चुनता है। इस कमेटी में अध्यक्ष के अलावा, संसद में पार्टी का नेता और अन्य सदस्य होते हैं। अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए किसी भी व्यक्ति को बतौर प्रस्तावक 10 पीसीसी डेलिगेट्स का समर्थन होना चाहिए। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी अपना अधिवेशन बुलाती है, जहां अध्यक्ष पद का ऐलान होता है और सीडब्ल्यूसी का चुनाव होता है।