भले ही भारतवंशी ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए लेकिन उनको हराकर प्रधानमंत्री बनीं लिज ट्रस ने अपनी कैबिनेट में दो भारतवंशियों को स्थान देकर महत्व बरकरार रखा है। इनमें सुएला ब्रेवरमैन गृह मंत्री बनाई गई हैं और आलोक शर्मा को कैबिनेट के साथ ही संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ‘सीओपी26’ के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। अब सवाल है कि भारतवंशी ऋषि सुनक की प्रतिद्वंदी लिज ट्रस का ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में भारत के प्रति क्या रुख रहेगा और उनके दोनों भारतवंशी कैबिनेट मंत्री किस तरह से भारत के साथ होंगे, क्योंकि लिज ट्रस के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ब्रिटेन संबंधों के भविष्य को लेकर चर्चा होने लगी है। लिज ट्रस के कार्यकाल के दौरान भारत के साथ ब्रिटेन के संबंधों पर कैसा असर पड़ने वाला है?
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल रहे भारतवंशी ऋषि सुनक अगर चुनाव जीतते तो भारत को लेकन उनका सकारात्मक रुख बना रहता। यह माना जा रहा था कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच नए संबंधों की शुरुआत होगी। जिस देश ने भारत को 200 साल तक गुलाम बनाकर रखा, उस देश का भारतवंशी प्रधानमंत्री नए रिश्तों की नींव रखता। इसको लेकर प्रत्येक भारतीय उत्साहित भी था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। ऋषि सुनक प्रधानमंत्री नहीं बन सके, उनकी प्रतिद्वंदी लिज ट्रस ने उन्हें हराकर प्रधानमंत्री की कुर्सी हासिल कर ली।
ऋषि सुनक से लिज ट्रस की चुनावी अदावत इस बात से भी जाहिर हो गई कि उन्होंने अपनी कैबिनेट में ऋषि सुनक के किसी समर्थक हो जगह नहीं दी है। हालांकि इसके साथ ही संघ समर्थक समझी जाने वाली उन्होंने भारतवंशी सुएला ब्रेवरमैन को गृह मंत्री बनाया है, और दूसरे भारतवंशी आलोक शर्मा को भी कैबिनेट में शामिल करने के साथ संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ‘सीओपी26’ के अध्यक्ष के तौर पर जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम करते रहने की जिम्मेदारी सौंपी है।
लिज ट्रस की कैबिनेट में ये भारतवंशी
सुएला ब्रेवरमैन
ब्रिटेन की गृह मंत्री बनाई गईं 42 वर्षीय सुएला ब्रेवरमैन भारत के गोवा से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने भारतवंशी प्रीति पटेल का स्थान लिया है, जो पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जानसन सरकार में गृह मंत्री थीं। इससे पहले वह अटार्नी जनरल थीं। सुएला ब्रेवरमैन ने मंगलवार की शाम नियुक्ति के तुरंत बाद गृह मंत्रालय का कामकाज संभाल लिया और ट्वीट कर अपनी नियुक्ति पर खुशी जताई।
बता दें कि सुएला ब्रेवरमैन खुद भी पीएम पद की दौड़ में उतरी थीं, लेकिन जैसे ही शुरूआती लड़ाई में हारीं, लिज ट्रस को समर्थन देकर सत्ता में अपनी दावेदारी सुनिश्चित कर ली थीं। शुरूआत से ही लिज ट्रस इस लड़ाई में सुनक से आगे चल रही थीं। शायद यही कारण रहा कि भविष्य को देखते हुए सुएला ब्रेवरमैन ने सुनक को छोड़ लिज को सपोर्ट कर दिया था।
सुएला ब्रेवरमैन के माता और पिता दोनों भारत से ही थे। मां तमिल हिंदू परिवार से थीं, जो मॉरीशस से ब्रिटेन आई थीं। सुएला ब्रेवरमैन के पिता गोवा से संबंध रखते थे और केन्या से आकर ब्रिटेन में बसे थे। सुएला ब्रेवरमैन का जन्म 3 अप्रैल 1980 को हुआ था और उनका नाम सू-एलेन कैसियाना फर्नांडीस रखा गया था। सुएला ब्रेवरमैन की पढ़ाई-लिखाई ब्रिटेन में हुई है। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है और 2018 में रायल ब्रेवरमैन से शादी की थीं। सुएला ब्रेवरमैन की मां भी राजनीति में काफी रुचि रखती थीं। कई बार चुनाव भी लड़ी थीं। उनकी मां पेशे से नर्स थीं। सुएला ने 2005 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी थीं। वह लेसेस्टर ईस्ट से चुनाव लड़ी, जहां वो दूसरे नंबर पर रही थीं। पहली बार 2015 में कंजरवेटिव पार्टी से सांसद चुनी गईं और तब से वह लगातार सांसद हैं। सुएला ब्रेवरमैन, बौद्ध धर्म में विश्वास करतीं हैं और बौद्ध की उपासक रही हैं। ब्रेवरमैन एक बौद्ध हैं जो नियमित रूप से लंदन स्थित बौद्ध केंद्र में जाती हैं। उन्होंने भगवान बुद्ध के कथनों के ग्रंथ “धम्मपद” पर संसद में पद की शपथ ली थी। लिज ट्रस की सरकार से पहले जॉनसन की सरकार थी और इस सरकार में सुएला ब्रेवरमैन के पास अटॉर्नी जनरल के पद पर थीं। ब्रेवरमैन, ब्रिग्जिट का घोर सपोर्टर रहीं हैं। वो कंजरवेटिव्स के ब्रेक्सिट समर्थक विंग की एक प्रमुख सदस्य रही हैं।
आलोक शर्मा
उत्तर प्रदेश के आगरा में जन्मे 55 वर्षीय आलोक शर्मा के लिए नई कैबिनेट में जगह मिली है। वह संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ‘सीओपी26’ के अध्यक्ष के तौर पर जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम जारी रखेंगे। पिछले साल नवंबर में स्काटलैंड के ग्लासगो में ‘सीओपी26’ शिखर सम्मेलन के आयोजन को लेकर उनकी सराहना हुई थी। साल 2020 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा सीओपी 26 अध्यक्ष बनाए गए आलोक शर्मा वर्ष 2010 में बोरिस जॉनसन की पार्टी से सांसद का चुनाव लड़े थे और जीते भी। ऋषि सुनक की तरह ही आलोक शर्मा ने भी भगवद गीता की प्रति हाथ में रखकर शपथ ली थी। इससे पहले वह कई जूनियर सरकारी पदों पर काम कर चुके हैं।
साल 1967 में आलोक शर्मा का जन्म प्रदेश के आगरा में हुआ था। उनके जन्म के पांच साल बाद उनका परिवार लंदन में बस गया था। उनके पिता डा. प्रेमदत्त शर्मा वैटनरी सर्जन थे। आलोक शर्मा ने उत्तर पश्चिम में सैलफोर्ड विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। अकाउंटेंट का प्रशिक्षण लिया था और कॉरपोरेट फाइनेंस में नौकरी की थी। उनकी स्वीडिश पत्नी ने उन्हें राजनीति में करियर बनाने का सुझाव दिया था। नवंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता यानि सीओपी 26 की बैठक के बाद सीओपी 26 के अध्यक्ष के तौर पर आलोक शर्मा ने भारत और चीन को लेकर कहा था कि इन दोनों को अपने बारे में जलवायु परिवर्तन के लिहाज से असुरक्षित देशों को समझाना होगा। शर्मा ने कोयले के इस्तेमाल को लेकर भारत और चीन के रुख की आलोचना की थी। पूर्व में ब्रिटेन के बिजनेस सेक्रेटरी रहे आलोक शर्मा ने कहा था कि लोग मुझे कभी-कभी नो ड्रामा शर्मा भी कहते हैं। यह नाम उन्हें अपने नो नॉनसेंस एटीट्यूड के लिए मिला है।
ब्रिटेन में भारतीय
एक आंकड़ों के मुताबिक, ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों की आबादी 14 लाख के करीब है, जो देश की कुल आबादी का केवल 2.3 प्रतिशत है, लेकिन ये ब्रिटेन का सबसे बड़ा समुदाय है। ये 1950 और 1960 के दशकों में ब्रिटेन के कपड़ों के मिलों में काम करने आए थे। कुछ भारतीय मूल के लोग अफ्रीका से आकर ब्रिटेन में बस गए थे। आज ब्रितानी समाज के सभी क्षेत्रों में भारत और दक्षिण एशिया से आकर बसे लोग मिल जाएंगे। उद्योग, व्यापार, क्रिकेट और शिक्षा के क्षेत्रों में इन्होंने काफी कामयाबी हासिल की है।
लिज ट्रस के प्रधानमंत्री बनने से भारत-ब्रिटेन संबंधों पर क्या पड़ेगा असर?
ऋषि सुनक की हार को भारतवंशी भले ही बड़े झटके के तौर पर देख रहे हों, लेकिन स्थितियां इससे अलग हैं। कंजर्वेटिव पार्टी की शीर्ष नेता लिज ट्रस की गिनती ब्रिटेन के उन नेताओं में होती हैं, जो हमेशा भारत के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं। ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस भारत के साथ ब्रिटेन के बेहतर संबंधों की पक्षधर रही हैं। वह भारत की तारीफ में कई बार बोल चुकी हैं। लिज ट्रस, भारत-ब्रिटेन के रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए हमेशा कोशिश करती रही हैं। वह लिज ट्रस ही थीं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री रहने के दौरान पिछले साल मई में बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली सरकार के लिए वृहद व्यापार साझेदारी यानी ईटीपी पर मुहर लगवाई, यही साझेदारी अब चल रही मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) बातचीत के लिए शुरुआती आधार के तौर पर काम कर रही है। ऐसे में, माना जा रहा है कि भारत को लेकर उनका रुख सकारात्मक ही रहेगा।
कई बार भारत का दौरा कर चुकी हैं लिज ट्रस
पूर्व में ब्रिटेन की कैबिनेट मंत्री रहते लिज ट्रस ने भारत की यात्राएं कीं। वह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ डिजिटल वार्ता भी कर चुकी हैं। लिज ट्रस मानती हैं कि भारत निवेश के लिए बड़ा और प्रमुख अवसर है। ईटीपी पर हस्ताक्षर के बाद लिज ट्रस ने कहा था- ‘मैं बनते व्यापार परिदृश्य में ब्रिटेन और भारत को एक बेहतरीन स्थिति में देख रही हूं। हम एक व्यापक व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं, जिसमें वित्तीय सेवाओं से लेकर कानूनी सेवाओं के साथ-साथ डिजिटल और डेटा समेत वस्तुएं और कृषि तक सब कुछ शामिल हैं। हमें लगता है कि जल्द एक समझौता कर सकते हैं, जहां हम दोनों ओर फीस घटा सकते हैं और दोनों देशों के बीच अधिक वस्तुओं का आयात-निर्यात होते देख सकते हैं।
लिज ट्रस से भारत को ये उम्मीदें-
भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्धता
ऋषि सुनक के साथ अपने मुकाबले के दौरान लिज ट्रस ने पार्टी के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया प्रवासी समूह के सामने कहा था कि वह द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए बेहद प्रतिबद्ध रहेंगी। उन्होंने भारत-ब्रिटेन एफटीए के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और उम्मीद जताई की दिवाली तक इसे पूरा करने की कोशिश की जाएगी, जो समयसीमा उनके पूर्ववर्ती बोरिस जॉनसन ने निर्धारित की थी।
लिज ट्रस ने कहा कि अगर तब तक संभव न हो सका तो निश्चित तौर पर साल के अंत तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने रूस और चीन की आक्रामकता के खिलाफ अपने ‘स्वतंत्रता के नेटवर्क’लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर बार-बार सहमति जताई।
जलवायु, रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में एक गहरे द्विपक्षीय संबंध विकसित होंगे
लिज ट्रस विदेश मंत्री रहने के दौरान भारत को लेकर काफी सकारात्मक रही हैं। उन्होंने रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत को लेकर सख्त टिप्पणियों के काफी परहेज किया था। ब्रिटिश विदेश मंत्री के रूप में लिज ट्रस ने अप्रैल में पीएम बोरिस जॉनसन की भारत दौरे से पहले अपनी यात्रा के दौरान कहा था कि भारत, रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में शामिल होना चाहता है, लेकिन ब्रिटेन, भारत को यह नहीं बताएगा कि क्या करना है। लिज ट्रस के इस बयान को भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति उनके सम्मान के तौर पर देखा गया। वह पहले भी भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने और व्यापार, रक्षा, पर्यावरण, शिक्षा समेत हर मोर्चे पर संबंधों को मजबूत करने का समर्थन कर चुकी हैं।
भारत को साधकर चलना लिज ट्रस की मजबूरी
भारत इंडो-पैसिफिक का सबसे मजबूत खिलाड़ी होने के अलावा सबसे बड़ा बाजार भी है। ब्रिटेन में चाहें जो भी प्रधानमंत्री बने उसकी मजबूरी है कि वह भारत के साथ अच्छा संबंध बनाकर रखे। लिज ट्रस को भी ब्रिटेन की इस कमजोरी के बारे में पता है। ऐसे में वह हर हाल में भारत को साधकर चलने की कोशिश जरूर करेंगी। लिज ट्रस का भारत के प्रति नजरिया पहले से ही अच्छा है। ऐसे में उन्हें फिलहाल भारत को लेकर किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
भारत के साथ मुक्त व्यापार सौदा करना चाहेंगी
लिज ट्रस ने विदेश मंत्री रहने के दौरान भी भारत के साथ मुक्त व्यापार सौदे की काफी तरफदारी की थी। अब ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उन्हें भारत के साथ आर्थिक संबंधों को सुधारने और मुक्त व्यापार सौदे पर तेजी लाने की जरूरत है। इस समझौते के होने से भारत और ब्रिटेन के बीच 2035 तक द्विपक्षीय सालाना व्यापार 28 अरब पाउंड तक बढ़ाया जाएगा। ऐसे में पूरे ब्रिटेन के वेजेज में 3 बिलियन पाउंड की बढ़ोत्तरी होगी। पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी और बोरिस जॉनसन ने भारत यूके व्यापक णनीतिक साझेदारी पर सहमति व्यक्त की थी। इस दौरान 530 मिलियन पाउंड के निवेश पर भी सहमति बनी थी। दोनों देशों ने व्यापार, स्वास्थ्य, जलवायु, रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में एक गहरे द्विपक्षीय संबंध विकसित करने पर जोर दिया था। विदेश मंत्री के तौर पर अपने प्रमोशन के बाद लिज ट्रस ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी ) की कमान एनी मेरी ट्रेवेलयन को सौंप दी थी। यह उम्मीद की जा रही है कि एनी मेरी ट्रेवेलयन अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री की अपनी भूमिका में ब्रिटेन-भारत एफटीए वार्ता पर आगे बढ़ेंगी।
शुरू से ही रही हैं भारत को लेकर सकारात्मक
कंजर्वेटिव पार्टी नेतृत्व की दावेदार के तौर पर लिज ट्रस ने 10 अगस्त बुधवार की रात कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआईएन) प्रवासी समूह के अपने चुनावी मंच से एक वादा किया था, तब उन्होंने पीएम बनने पर यूके-भारत संबंधों को बढ़ावा देने का वादा किया था, तब भी उन्होंने खुद को भारतीय समुदाय के लिए व्यापारिक समर्थक के तौर पर पेश किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह बार-बार भारत आना चाहेंगी।
टोरी नेता के तौर पर निर्वाचित होने के लिए पूर्व ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनक के साथ अपने मुकाबले के दौरान उनका दिया ये बयान बहुत मायने रखता है।
लिज ने ये भी कहा- “मेरे दिमाग में कोई संदेह नहीं है कि दुनिया में सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली लोग भारत में हैं। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी वीजा प्रणाली पर गौर करना जारी रखूंगी कि यह उन लोगों को आकर्षित करे।” ट्रस ने कहा था कि ब्रिटेन के पास भारत के संग अपने रक्षा और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने का एक वास्तविक मौका था।
भारत वर्तमान में 60 फीदसी रूसी हथियारों पर निर्भर है, लेकिन जाहिर है कि वे अब चीन के साथ रूस के रणनीतिक संबंधों और उन हथियारों में से कुछ के असर के बारे में चिंतित हैं, इसलिए निकट साझेदारी के लिए एक वास्तविक मौका है.” ट्रस ने यहां तक कहा था कि मुझे पता है कि कड़ी मेहनत में विश्वास, अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने के मूल्य और नियमों के तहत चलने में कंजर्वेटिव पार्टी और भारतीय समुदाय एक जैसे हैं।
मार्च 2022 में हुए पहले भारत-यूके रणनीतिक फ्यूचर्स फोरम में तत्कालीन विदेश मंत्री लिज ट्रस ने भारत को लेकर अपना रूख साफ कर दिया था। इस फोरम में लिज कहा- भारत में होना फैनटास्टिक है। मेरा एक साल के भीतर ही भारत का ये तीसरे बार का दौरा यूनाइटेड किंगडम के भारत के साथ रिश्तों की प्रतिबद्धता को साबित करता है। पहले की तुलना में भारत के साथ संबंधों को मजबूत करना अब कहीं अधिक अहम हो चला है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट को देखते हुए ये बेहद जरूरी हो गया है। ट्रस ने कहा कि यूक्रेन संकट ने समान विचारधारा वाले देशों के एक साथ काम करने की जरूरत पर प्रकाश डाला और इसके विकास के विश्व पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारत के साथ संबंधों को मजबूत करना पहले से कहीं अधिक अहम है, क्योंकि हम एक अधिक असुरक्षित दुनिया में रह रहे हैं, यकीनन (व्लादिमीर) पुतिन का यूक्रेन पर आक्रमण भयावह है।
मोदी ने दिया था- बधाई संदेश
लिज ट्रस के प्रधानमंत्री बनने के एक घंटे के अंदर भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें ट्वीट कर बधाई संदेश भेजा। उन्होंने ट्वीट किया, ” बधाई हो @trussliz यूके के अगले पीएम चुने जाने के लिए। विश्वास है कि आपके नेतृत्व में भारत-यूके व्यापक रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी। आपको आपकी नई भूमिका और जिम्मेदारियों के लिए शुभकामनाएं।”