बरेली@LeaderPost। बिना खून बहाये लड़ा जाने वाला युद्ध ही राजनीति है। यह तरह तरह के गुणा गणित और समीकरणों पर टिका होता है। जैसा कि इस बार के चुनाव में हुआ। यूपी की जमीन पर ‘दो लड़कों की जोड़ी’ ने भाजपा की बड़ी विशाल और भव्य अक्षौहिणी सेना को अपने रणनीतिक कौशल से पटक दिया। साफ हो गया कि यूपी की जमीन पर पिछड़ों के बीच भाजपा पिछड़ चुकी है। यूपी से 11 कुर्मी सांसद बने हैं, जिनमें से भी सिर्फ तीन ही भाजपा के हैं, एक सहयोगी दल का और सात सपा के। साफ है कि कुर्मियों का झुकाव बदल रहा है। इन दिनों दिल्ली दरबार में यूपी भाजपा पर मंथन और चिंतन चल रहा है। सीएम, डिप्टी सीएम सभी दिल्ली में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निगाहें 2027 की सफलता पर टिकी हैं। साफ हो गया है कि आगे सत्ता बचाये रखनी है तब पिछड़ों को साधा जाये। शुरुआत कुर्मियों को साधने से की गई है। आठ बार के सांसद रहे संतोष गंगवार को राज्यपाल बनाया गया है, झारखंड का। बेहद लोकप्रिय राजनेता इस बार चुनाव नहीं लड़ सके थे मगर उनको राज्यपाल बनाया जाना भविष्य में यूपी की जमीन पर भाजपा को फायदा पहुंचायेगा। यह साफ है।
संतोष गंगवार के घर पर कल देर रात से ही लोगों का तांता लगा हुआ है। जैसे ही उनको राज्यपाल बनाये जाने की खबर फैली उनको चाहने वालों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। अभी करीब साढ़े तीन से चार महीने पहले ही उनका टिकट काट दिया गया था। उनके स्थान पर बहेड़ी से विधायक व प्रदेश सरकार में मंत्री रहे छत्रपाल गंगवार को भाजपा ने टिकट दिया, छत्रपाल गंगवार सफलतापूर्वक यह चुनाव जीत कर सांसद बन गए। इसके बाद भाजपा के नेताओं का एक वर्ग यह मानने लगा था कि अब संतोष गंगवार के कैरियर पर अब विराम लग गया है। इस बीच उनके साथ एक दुखद हादसा हुआ, उनकी पत्नी श्रीमती सौभाग्यवती गंगवार का निधन हो गया। भाजपा के कई नेताओं ने जो किनारा करना शुरु किया था, आज राज्यपाल के रुप में उनकी शानदार वापसी के साथ वह फिर से वापस आते दिखाई दिए। संतोष गंगवार सुबह उत्तराखंड की यात्रा पर थे, वापसी के वक्त बहेड़ी – बरेली रोड से लेकर उनके निवास तक उनके समर्थकों की भारी भीड़ मौजूद रही। जगह जगह उनके स्वागत समारोह होना शुरु हो गए, जो कि देर शाम तक जारी रहे। अपने एक लोकप्रिय राजनेता के इस कमबैक ने उनके चाहने वालों को काफी खुश किया।
इस पूरी कहानी के नेपथ्य में बीते कई दिनों से दिल्ली दरबार में चल रहा मंथन और चिंतन है। यूपी के 80 में से 35 सांसद ओबीसी के हैं। जिनमें से 11 कुर्मी हैं, इन 11 कुर्मी सांसदों में सबसे ज्यादा संख्या सात सांसद, समाजवादी पार्टी कांग्रेस के गठबंधन से जीते हैं। तीन भाजपा से व एक अनुप्रिया पटेल जीती हैं। अनुप्रिया पटेल से भाजपा को कोई खास लाभ नहीं है। उनका अपना स्वतंत्र राजनीतिक दल है और उनका चुनाव भी कई समस्याओं से जूझता हुआ मुश्किल से निकल सका है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के पीडीए के फार्मूले से संकट में आई भाजपा को यह समझ में आ गया है कि पिछड़ों के बीच अपनी पैठ को बढ़ाना होगा।
कल देर रात राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई कि संतोष गंगवार को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है। पार्टी के अंदर की खबर रखने वालों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश में बिगड़े राजनीतिक समीकरण को ठीक करने की कवायद शुरु करने को कहा है। संतोष गंगवार यूपी के इकलौते ऐसे नेता हैं, जिनको राज्यपाल बनाया गया है। फिलहाल कुर्मी बिरादरी के एक बड़े नेता को राज्यपाल बनाकर कुर्मी बिरादरी को यह संदेश दिया गया है कि भाजपा उनके लिए भी चिंता करती है तथा उनकी भागीदारी को लेकर संकल्पबद्ध है। फिलहाल यह माना जा रहा है कि संतोष गंगवार को राज्यपाल बनाया जाना भाजपा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली के केंद्रीय नेतृत्व का वह शुरुआती और पहला कदम है जो उन्होंने पीडीए की काट के लिए उठाया है।
संतोष गंगवार के घर पर कल देर रात से ही लोगों का तांता लगा हुआ है। जैसे ही उनको राज्यपाल बनाये जाने की खबर फैली उनको चाहने वालों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। अभी करीब साढ़े तीन से चार महीने पहले ही उनका टिकट काट दिया गया था। उनके स्थान पर बहेड़ी से विधायक व प्रदेश सरकार में मंत्री रहे छत्रपाल गंगवार को भाजपा ने टिकट दिया, छत्रपाल गंगवार सफलतापूर्वक यह चुनाव जीत कर सांसद बन गए। इसके बाद भाजपा के नेताओं का एक वर्ग यह मानने लगा था कि अब संतोष गंगवार के कैरियर पर अब विराम लग गया है। इस बीच उनके साथ एक दुखद हादसा हुआ, उनकी पत्नी श्रीमती सौभाग्यवती गंगवार का निधन हो गया। भाजपा के कई नेताओं ने जो किनारा करना शुरु किया था, आज राज्यपाल के रुप में उनकी शानदार वापसी के साथ वह फिर से वापस आते दिखाई दिए। संतोष गंगवार सुबह उत्तराखंड की यात्रा पर थे, वापसी के वक्त बहेड़ी – बरेली रोड से लेकर उनके निवास तक उनके समर्थकों की भारी भीड़ मौजूद रही। जगह जगह उनके स्वागत समारोह होना शुरु हो गए, जो कि देर शाम तक जारी रहे। अपने एक लोकप्रिय राजनेता के इस कमबैक ने उनके चाहने वालों को काफी खुश किया।
इस पूरी कहानी के नेपथ्य में बीते कई दिनों से दिल्ली दरबार में चल रहा मंथन और चिंतन है। यूपी के 80 में से 35 सांसद ओबीसी के हैं। जिनमें से 11 कुर्मी हैं, इन 11 कुर्मी सांसदों में सबसे ज्यादा संख्या सात सांसद, समाजवादी पार्टी कांग्रेस के गठबंधन से जीते हैं। तीन भाजपा से व एक अनुप्रिया पटेल जीती हैं। अनुप्रिया पटेल से भाजपा को कोई खास लाभ नहीं है। उनका अपना स्वतंत्र राजनीतिक दल है और उनका चुनाव भी कई समस्याओं से जूझता हुआ मुश्किल से निकल सका है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के पीडीए के फार्मूले से संकट में आई भाजपा को यह समझ में आ गया है कि पिछड़ों के बीच अपनी पैठ को बढ़ाना होगा।
कल देर रात राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई कि संतोष गंगवार को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है। पार्टी के अंदर की खबर रखने वालों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश में बिगड़े राजनीतिक समीकरण को ठीक करने की कवायद शुरु करने को कहा है। संतोष गंगवार यूपी के इकलौते ऐसे नेता हैं, जिनको राज्यपाल बनाया गया है। फिलहाल कुर्मी बिरादरी के एक बड़े नेता को राज्यपाल बनाकर कुर्मी बिरादरी को यह संदेश दिया गया है कि भाजपा उनके लिए भी चिंता करती है तथा उनकी भागीदारी को लेकर संकल्पबद्ध है। फिलहाल यह माना जा रहा है कि संतोष गंगवार को राज्यपाल बनाया जाना भाजपा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली के केंद्रीय नेतृत्व का वह शुरुआती और पहला कदम है जो उन्होंने पीडीए की काट के लिए उठाया है।