नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल को लेकर देशभर में तीखी बहस जारी है। जहां AIMPLB और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे बड़े संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं । तो वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल, जमीयत हिमायत उल इस्लाम, पसमांदा मुस्लिम महाज, और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच सहित कई संगठनों ने इसका समर्थन किया है।
समर्थन करने वाले संगठनों का कहना है कि वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल हो रहा है और इस संशोधन से पारदर्शिता आएगी। ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि “इस बिल से वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और इससे जुड़ी ग़लतफहमियों को दूर करना जरूरी है। “जमीयत हिमायत उल इस्लाम के कारी अबरार जमाल ने सवाल उठाया कि “वक्फ बोर्ड ने गरीब मुसलमानों के लिए क्या किया? जब वक्फ की संपत्ति अल्लाह की मानी जाती है तो माफियाओं का इस पर हक कैसे हो सकता है? “पसमांदा मुस्लिम महाज के अध्यक्ष परवेज हनीफ ने कहा, “यह बिल मुस्लिम समाज के हाशिए पर खड़े तबके के लिए जरूरी है। वक्फ संपत्तियों पर कुछ गिने-चुने लोगों का कब्ज़ा है जो अब खतरे में पड़ गया है इसलिए वे विरोध कर रहे हैं।”
विरोध करने वाले संगठनों की आपत्ति
दूसरी ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों का कहना है कि यह बिल धार्मिक आज़ादी पर हमला है और सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण चाहती है। AIMPLB के एक प्रवक्ता ने कहा कि “सरकार को वक्फ संपत्तियों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। यह बिल हमें हमारे अधिकारों से वंचित करने की साजिश है।”
सड़क पर दिखेगा असर?
दिल्ली और भोपाल में इस बिल के समर्थन में रैलियां निकाली गईं जबकि कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गरमाएगा और सड़क से संसद तक संघर्ष देखने को मिलेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इस बिल को पारित कराने में सफल होती है या विरोध के चलते इसमें कोई संशोधन किया जाता है।
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