नई दिल्ली । केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) और अन्य विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं । जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सहयोगी पार्टियां इसे समाज के हित में बता रही हैं। वहीं जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने कहा है कि वह संसद में अपने स्टैंड को स्पष्ट करेगी। सपा प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का पूरी तरह से विरोध करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार हर क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है और अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने भी इस मुद्दे पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।
जेडीयू का रुख अभी साफ नहीं, संसद में होगा फैसला–वहीं जेडीयू ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए हमेशा काम किया है और उनकी पार्टी इस बिल पर संसद में अपना स्टैंड स्पष्ट करेगी। जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने बिल को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह मुसलमानों के हित में नहीं है। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि इस पर अंतिम निर्णय लोकसभा में चर्चा के दौरान लिया जाएगा।
भाजपा का दावा- बिल गरीबों के लिए फायदेमंद—भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि विपक्ष बेवजह इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहा है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक गरीबों के हित में लाया गया है और इससे वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित होगा। भाजपा सांसद दमोदर अग्रवाल ने कहा कि कुछ लोग इस विधेयक को लेकर भ्रम फैला रहे हैं जबकि हकीकत में यह मुसलमानों के लिए फायदेमंद होगा।
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कांग्रेस ने की खुली बहस की मांग—कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार को इस बिल पर खुली चर्चा करनी चाहिए और जल्दबाजी में इसे पारित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार कांग्रेस के सुझावों को मान लेती तो बेहतर होता। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सियासी दलों के बीच मतभेद जारी हैं। सपा और अन्य विपक्षी दल इसे मुसलमानों के खिलाफ बता रहे हैं जबकि भाजपा इसे समाज के हित में बता रही है। जेडीयू अभी भी असमंजस में है और उसका रुख लोकसभा में स्पष्ट होगा। अब सबकी नजरें संसद में होने वाली चर्चा पर टिकी हैं, जहां इस बिल का भविष्य तय होगा।