वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस को अलविदा बोल दिया। उन्होंने न सिर्फ पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया, बल्कि कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी।
नई दिल्ली। गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्नों का इस्तीफा भेजा। इसमें लिखा है- बड़े खेद और बेहद भावुक हृदय के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा शताब्दी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं। राष्ट्रीय राजनीति में वह कांग्रेस का बड़ा चेहरा थे। माना जा रहा है कि कांग्रेस में नजरंदाज किए जाने से खफा होकर उन्होंने इस्तीफा दिया है। गुलाम नबी आजाद काफी समय से कांग्रेस में असंतुष्ट चल रहे थे। उनकी नाराजगी शीर्ष नेतृत्व को लेकर थी। वह पार्टी के उन शीर्ष नेताओं में रहे, जो कांग्रेस को गांधी परिवार से इतर गठन का समर्थन और सुझाव दे रहे थे। बता दें कि हाल ही में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में प्रचार कमेटी का चेयरमैन बनाए जाने के दो घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था।
गुलाम नबी ने ऐसे वक्त कांग्रेस छोड़ी है, जब पार्टी सत्ताधारी भाजपा के वार से पस्त होकर महज दो ही राज्यों में सिमट चुकी है और इसी महीने पार्टी का नया अध्यक्ष चुना जाना है। आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके अगले कदम को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है। संकेत मिल रहे हैं कि वह अपनी पार्टी बनाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो माना जा सकता है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस में उनके समर्थन में बड़ी टूट हो सकती है। आजाद समर्थक कांग्रेसी उनके साथ जा सकते हैं।
इस्तीफा में सोनिया गांधी को क्या लिखा, जानिए
गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफा पत्र में सोनिया गांधी को लिखा है- वर्ष 2014 में आपके और उसके बाद राहुल गांधी द्वारा पार्टी का नेतृत्व संभाले जाने के बाद कांग्रेस अपमानजनक ढंग से दो लोकसभा चुनाव हार गई। 2014 से 2022 के बीच 49 विधानसभा के चुनावों में से कांग्रेस 39 में चुनाव हार गई। पार्टी केवल चार राज्यों के चुनाव जीत पाई और छह में वह गठबंधन की स्थिति बना पाई। दुर्भाग्यवश, आज कांग्रेस केवल दो राज्यों में सरकार चला रही है और दो अन्य राज्यों में यह बहुत सीमांत गठबंधन सहयोगियों में है।
गुलाम नबी ने इस्तीफे में सोनिया गांधी को यह भी लिखा- वर्ष 2019 के चुनाव के बाद से पार्टी में हालात खराब हुए हैं। विस्तारित कार्य समिति की बैठक में पार्टी के लिए जीवन देने वाले सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान करने से पहले राहुल गांधी के हड़बड़ाहट में पद छोड़ने के बाद आपने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया। एक पद जिस पर आप आज भी पिछले तीन वर्षों से काबिज हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को ध्वस्त करने वाला रिमोट कंट्रोल मॉडल अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लागू हो गया था जबकि आप केवल एक मामूली व्यक्ति हैं, सभी महत्वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी द्वारा लिए जा रहे थे या इससे भी बदतर उनके सुरक्षा गार्ड और पीए फैसले ले रहे थे।