जोरदार बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पारित, 128 मतों से मिली मंजूरी

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वक्फ संशोधन विधेयक
जोरदार बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पारित, 128 मतों से मिली मंजूरी

नई दिल्ली। लंबे विवाद और जोरदार बहस के बाद वक्फ संशोधन बिल गुरुवार देर रात राज्यसभा में पारित हो गया। बिल के समर्थन में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। इससे पहले  बुधवार को लोकसभा में भी इसे मंजूरी मिल चुकी थी। अब यह विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा जिसके बाद यह कानून बन जाएगा। राज्यसभा में इस बिल को लेकर एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष का आरोप था कि सरकार इस कानून के जरिए वक्फ संपत्तियों को जब्त करना चाहती है  जबकि बीजेपी का कहना है कि विपक्ष सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए अल्पसंख्यकों को गुमराह कर रहा है।

सरकार की रणनीति की हुई जीत– मोदी सरकार के लिए इस विधेयक को पारित कराना आसान नहीं था। क्योकि भाजपा कि सहयोगी पर्टिया जिनकी राजनीतिक रोटिया मुस्लिम वोट बैंक पर चलती आई है। ऐसे में सभी विपक्षी पर्टियों को यह आसार लग रहा था कि आखिरी मौके पर नीतिश कुमार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान पलट जाएगें । लेकिन उन्होने एकजुटता का परिचय जिसने विपक्षी पर्टियो को सकते में डाल दिया । जिसके चलते यह बिल  लंबी बहस के बाद राज्यसभा और लोकसभा दोनों में  आसानी से पारित हो गया। आपको बताते चले सरकार ने 8 अगस्त 2024 को संसद में यह विधेयक पेश किया था जिसे बाद में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया। 29 जनवरी 2025 को समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें 15 सांसदों ने समर्थन और 14 ने विरोध किया। जब विधेयक लोकसभा में पेश हुआ तो 288 सांसदों ने पक्ष में और 232 ने विपक्ष में वोट डाले।

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BJD का अप्रत्याशित रुख– ओडिशा की बीजू जनता दल (BJD) ने इस बिल का शुरू में कड़ा विरोध किया था। लेकिन मतदान के दौरान पार्टी ने अपने सांसदों को स्वतंत्र निर्णय लेने की छूट दे दी। नतीजतन बीजेडी के कुछ सांसदों के फैसले ने सरकार के लिए राह आसान बना दी। राज्यसभा में 236 सदस्यों के बीच बहुमत के लिए 119 वोटों की आवश्यकता थी। बीजेपी के 98 सांसदों और सहयोगी दलों के 118 सदस्यों के समर्थन से यह संख्या 124 तक पहुंची। छह मनोनीत सांसदों ने भी सरकार के पक्ष में मतदान किया, जिससे कुल समर्थन 128 हो गया। वहीं, 95 सांसदों ने बिल का विरोध किया। अब यह विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

 

 

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