कलयुग में दान से बड़ा कोई दूसरा धर्म मार्ग नहीं- प्रेमभूषण महाराज

अविरल और निर्मल गंगा के संकल्प के साथ हुई राम कथा की पूर्णाहुति

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बरेली@LeaderPost। सत्य, तप, दया और दान धर्म के चार मुख्य स्तंभ है। यह कलयुग का प्रथम चरण है और हमारे सनातन सद ग्रंथ कलयुग में दान करने को ही सबसे बड़ा धर्म मार्ग बताते हैं। यह सद् विचार प्रेमभूषण महाराज ने राम कथा की पूर्णाहुति के अवसर पर व्यक्त किए। पिछले 5 दिनों से मॉडल टाउन स्थित श्री हरि मंदिर में भव्य श्री राम कथा का आयोजन किया गया। जिसमें झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी सहभागिता की।        

अविरल गंगा निर्मल गंगा के संकल्प के साथ श्री हरि मंदिर में श्री राम कथा का आयोजन किया गया। विश्व प्रसिद्ध प्रेम मूर्ति प्रेम भूषण जी महाराज ने कथा गायन करते हुए प्रभु श्री राम के वन गमन, सुंदरकांड, लंका कांड और श्री राम के राज्याभिषेक से जुड़े प्रसंग गायन करते हुए प्रस्तुत किए। कथा को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि दान करने की क्षमता तप के द्वारा प्राप्त होती है इसी से मनुष्य के हृदय में दया का भाव उत्पन्न होता है। उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि माया के मकड जाल में फंसे हुए मनुष्य भजन करने और दान करने से बचने का प्रयास करते हैं। कलयुग के प्रभाव का वर्णन करते हुए महाराज ने कहा कि मनुष्य का उद्धार भगवान नाम के जप के द्वारा हो सकता है। महर्षि वाल्मीकि की शिक्षा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवत प्रसाद का रस अपने आप प्राप्त नहीं होता है इसके लिए बार-बार प्रयास करना पड़ता है।

उन्होंने आवाहन किया की वर्तमान समय में हमें इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि भविष्य में ना खाने योग्य वस्तुओं का परित्याग कर अपने परिवार का कल्याण करें। श्रम और कर्म के द्वारा ही हम अपने भविष्य को उज्जवल बना सकते हैं। कथा व्यास द्वारा सुनाये गए सु मधुर भजनों को सुन भक्तजन मंत्रमुग्ध हो गए।

कथा का आनंद लेने वालों में पत्नी सहित अरुण गुप्ता, रामदयाल मोहता, दिनेश सोलंकी, डॉक्टर सत्यपाल गंगवार, विवेक मिश्रा, रेनू छाबड़ा, कंचन अरोड़ा, नीलम साहनी, अखिलेश सिंह, आयाम प्रमुख, राजेश कुमार, महापौर डॉ. उमेश गौतम, पूर्व उपसभापति अतुल कपूर, पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. विनोद पागरानी, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन मौजूद रहे।

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