देहरादून। 10 साल का एक बच्चा शाहजेब। तीन साल पहले कोरोना में पिता की मौत हो गई। मां उसे कलियर ले गई और वहां जैसे-तैसे दोनों मां-बेटे गुजारा करने लगे। कुछ ही दिन बाद मां का भी निधन हो गया। नतीजतन, शाहजेब अनाथ हो गया। मजबूरन, वह बच्चा लावारिस सड़कों पर भीख मांगकर गुजारा करने लगा। यह मानकर की दुनिया में अब उसका कोई नहीं, लेकिन कहते हैं, न कि किस्मत हर किसी की होती है। उसकी किस्मत तब चमकी, जब उस पर एक युवक की नजर पड़ गई। उस युवक ने उसे पहचान लिया और उसके कलियर में होने की सूचना उसके मरहूम दादा के परिवार तक पहुंचा दी। दादा के भाई और भतीजे कलियर पहुंचे और शाहजेब को अपने साथ ले गए। उसे बताया गया कि मरने से पहले उसके दादा ने उसके नाम अपनी करोड़ों की संपत्ति उसके नाम कर दी थी। अब अनाथ और लावारिस भीख मांगने वाला शाहजेब करोड़ों की संपत्ति का मालिक था।

किसी फिल्मी पटकथा जैसी लगने वाली यह कहानी हकीकत है।

बच्चे को ढूंढ रहे थे परिवार वाले
दरअसल, उत्तराखंड में कोरोना से मां की मौत के बाद दो वक्त की रोटी के लिए सबके आगे हाथ फैलाने के लिए मजबूर 10 साल का एक बच्चा करोड़ों की जायदाद का मालिक निकला। उसके दादा ने मरने से पहले अपनी आधी जायदाद उसके नाम कर दी थी। वसीयत लिखे जाने के बाद से परिजन उसे ढूंढ रहे थे। कलियर में सड़कों पर घूमते वक्त उसके गांव के एक युवक ने उसे पहचान लिया और परिजनों को सूचना दी, जिसके बाद परिजन बच्चे को अपने साथ घर ले गए। बच्चे के नाम गांव में पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन है। उसके सबसे छोटे दादा शाहआलम का परिवार अब उसे सहारनपुर ले गया है।

ससुराल वालों से नाराज होकर बेटे को ले आई थी मां
यूपी के जिला सहारनपुर के गांव पंडोली में रहने वाली इमराना पति मोहम्मद नावेद के निधन के बाद 2019 में अपने ससुराल वालों से नाराज होकर अपने मायके यमुनानगर चली गई थी, तब वह अपने साथ करीब छह साल के बेटे शाहजेब को भी ले गई थी। ससुराल पक्ष ने उसे मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। कुछ समय पहले इमराना अपने बच्चे को लेकर कलियर आ गई। परिजनों ने काफी ढूंढा, लेकिन उनका उन्हें कोई पता नहीं चला। कोरोना महामारी आई तो लॉकडाउन लग गया। इसी महामारी में मां इमराना का साया भी मासूम शाहजेब के सिर से उठ गया, तब से शाहजेब कलियर में लावारिस जिंदगी जी रहा था। चाय व अन्य दुकानों पर काम करने के साथ ही पेट भरने को वह सड़क पर भीख भी मांगने को मजबूर था।

परिजनों ने बच्चे का पता बताने वाले को किया था ईनाम का ऐलान
मासूम की फोटो परिजनों ने व्हाट्सएप ग्रुपों और सोशल साइट्स पर अपलोड कर तलाशने वाले को इनाम का ऐलान किया था। दूर का एक रिश्तेदार मोबिन कलियर आया था। बाजार में घूमते वक्त उसकी नजर शाहजेब पर पड़ी तो उसने वायरल फोटो से उसके चेहरे का मिलान किया। पूछने पर शाहजेब ने अपना और मां के नाम के साथ गांव का नाम सही बताया तो मोबिन ने उसके परिजनों को सूचित किया। पहले बहू का घर छोड़कर जाना और उसके बाद बेटे की मौत से दादा मोहम्मद याकूब सदमे में थे। हिमाचल में एक स्कूल से रिटायर्ड याकूब की करीब दो साल पहले मौत हो चुकी है। उनके दो बेटों में से नावेद का निधन हो चुका, जिनके बेटे का ही नाम शाहजेब है। दूसरे बेटे जावेद का परिवार सहारनपुर में ही रहता है। दादा ने अपनी वसीयत में लिखा था कि जब कभी भी मेरा पोता वापस आए तो उसे आधी जायदाद सौंप दी जाए।

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