जुनून है तो कंटीला और पथरीला मार्ग भी हो जाता है सुगम

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छात्र-छात्राओं को जीवन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए उसी राह में चलना चाहिए। जीवन मार्ग कंटीला एवं पथरीला हो सकता है। यदि आगे बढ़ने का जुनून है तो वह मार्ग भी सुगम हो जाता है। यह कहना है सेना की ईएमई कोर में कार्यरत लेफ्टिनेंट दीप्ति भट्ट का। दीप्ति कहती हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति, मजबूत इरादे एवं अनुशासन व्यक्ति में उड़ान भरने के लिए पंख लगा देते हैं।

ढाई वर्ष की आयु में ही पिता का साया खो चुकीं दीप्ति को मां हेमंती भट्ट के प्यार व दुलार मिलने के साथ उन्हें जीवन में संघर्ष करने की भी सीख मिलती रही। दीप्ति बताती हैं कि भले ही उनकी मां हेमंती भट्ट को जीवनसाथी को सदा के लिए खोने का मलाल सालता रहा लेकिन उन्होंने कभी भी उन्हें और उनके भाई दीपक को पिता की कमी का एहसास नहीं होने दिया।

कई सालों तक संघर्ष झेलने के बाद उनकी मां हेमंती भट्ट को शिक्षिका के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। वर्तमान में वह जीजीआईसी लोहाघाट की एनसीसी यूनिट अधिकारी हैं। दीप्ति ने बताया कि वह शुरू से ही एक सैन्य अफसर बनने का सपना संजोए हुए थी। बीटेक करने के बाद सर्विस सलेक्शन बोर्ड में पहले ही प्रयास में इनका चयन हो गया। लेफ्टिनेंट बनकर आईं दीप्ति का कहना है कि पहाड़ की बहनों को सेना का अंग बनना चाहिए।

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