कीव। यूक्रेन पर आक्रमण करके रूस ने जिस शहर खेरसॉन पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था, उससे अब उसने वापसी की घोषणा कर दी है। इस शहर पर कब्जा करने के आठ महीने बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर वी. पुतिन का यह महत्वपूर्ण फैसला है। आठ महीने से जारी हमले के बीच रूस की सेना ने कहा है कि वह यूक्रेन के इलाकों से पीछे हट रही है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने अपने सैनिकों को खेरसॉन शहर से हटने और डिनिप्रो नदी के सामने के तट पर रक्षात्मक लाइन लेने का आदेश दिया है। हालांकि यूक्रेन ने रूस की इस घोषणा को भ्रमित करने वाला माना है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अपनी टिप्पणी में रूसी जनरल सर्गेई सुरोविकिन ने कहा कि खेरसॉन शहर को संसाधनों की आपूर्ति करना अब संभव नहीं था। सुरोविकिन ने कहा, “हम अपने सैनिकों के जीवन और अपनी इकाइयों की लड़ने की क्षमता को बचाएंगे। उन्हें दाएं (पश्चिमी) किनारे पर रखना व्यर्थ है। उनमें से कुछ का इस्तेमाल अन्य मोर्चों पर किया जा सकता है।”
बता दें कि रूस की इस घोषणा का अनुमान पहले ही रूस के प्रभावशाली युद्ध ब्लॉगर्स ने लगाया था, जिन्होंने इसे रूस के लिए एक झटका बताया।
वहीं, रूस की इस घोषणा पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि रूसी खेरसॉन से पीछे हटने का दिखावा कर रहे हैं ताकि यूक्रेनी सेना को भ्रमित कर शहर में बुला सकें और सीधी लड़ाई में उलझा सकें। बता दें कि खेरसॉन एक अहम बंदरगाह शहर है और रूस के कब्जे वाले क्रीमिया का रास्ता भी है।
बता दें कि आठ महीने के हमले में रूसी सेना यूक्रेन की राष्ट्रीय राजधानी कीव और दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव पर कब्जा करने में नाकाम रही। खारकीव से भी रूस को जल्दबाजी में हटना पड़ा था।
युद्ध से पहले खेरसॉन की आबादी 2,80,000 थी। 24 फरवरी को वहां पहला हमला हुआ था। इस वक्त यूक्रेन की सेना ने शहर को घेर रखा है और उसकी सप्लाई लाइन काट दी है। इस क्षेत्र पर दोबारा कब्जा करने से यूक्रेन को जापोरिझिया और अन्य दक्षिणी इलाकों को वापस पाने में भी लाभ मिल सकता है, चूंकि यही रास्ता आगे बढ़कर क्रीमिया तक जाता है। ऐसे में, यूक्रेनी सेना यदि इसी तरह आगे बढ़ती जाती है, तो वह रूसी सेना को क्रीमिया तक धकेल सकती है। क्रीमिया को रूस ने 2014 में जीतकर यूक्रेन से अलग कर दिया था।