नई दिल्ली। हिंदी भाषा के इस्तेमाल को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, खासकर सरकार द्वारा राजभाषा को लेकर सरकार के कदम के बाद यह विवाद और बढ़ गया है। पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार के मुख्य लक्ष्य में से एक हिंदी है।
ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय भाषाओं के उपयोग और महत्व की वकालत की है। पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेजी सिर्फ संचार का माध्यम है, बौद्धिक होने का पैमाना नहीं। गांधीनगर में गुजरात सरकार के मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस पहल में बोलते हुए पीएम ने कहा कि अंग्रेजी को केवल संचार का माध्यम होने के बावजूद पहले बौद्धिक होने का मानदंड माना जाता था।
उन्होंने कहा, इतने प्रतिभाशाली बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर नहीं बन सके क्योंकि उन्हें उस भाषा में अध्ययन करने का अवसर नहीं मिला, जिसे वे समझते थे। अब यह स्थिति बदली जा रही है। अब भारतीय भाषाएं में भी छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा आदि का अध्ययन करने का विकल्प मिलने लगा है।
पीएम ने कहा कि एक गरीब मां भी, जो अपने बच्चे को अंग्रेजी स्कूल में नहीं पढ़ा सकती, उसे डॉक्टर बनाने का सपना देख सकती है और एक बच्चा अपनी मातृभाषा में डॉक्टर बन सकता है।
उन्होंने भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की सरकार की योजना के बारे में बात करते हुए कहा, हम उस दिशा में काम कर रहे हैं ताकि एक गरीब परिवार का व्यक्ति भी डॉक्टर बन सके। कई भारतीय भाषाओं के साथ-साथ गुजराती भाषा में पाठ्यक्रम बनाने के प्रयास चल रहे हैं।
इससे पहले, गृह मंत्री अमित शाह ने 16 अक्टूबर को भोपाल, मध्य प्रदेश में हिंदी में पहला एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू किया और कहा कि आज चिकित्सा शिक्षा हिंदी में शुरू हो रही है और जल्द ही हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी शुरू हो जाएगी। इंजीनियरिंग की किताबों का अनुवाद देश भर में आठ भाषाओं में शुरू हो गया है और जल्द ही छात्र अपनी मातृभाषा में तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा हासिल कर सकेंगे।