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डीकोडिंग चाइना– सवालों के घेरे में चीन, राष्ट्रपति शी जिंगपिंग और तख्ता पलट की खबरें।

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Decoding china
पड़ोसी देश चीन ( China ) से छनकर आ रही हैं बगावत की खबरें। राष्ट्रपति शी जिंगपिंग (XI Jinpinh) के तख्ता पलट की खबर के पीछे क्या है सच्चाई? क्रोनोलॉजी से समझिए। जानिए चीन को Decoding China in Politics with PAWAN में। एक ओर अहम सवाल- क्या हम कभी देख सकेंगे ( Democratic China) लोकतांत्रिक चाइना को? एक विश्लेषण-

 

डा. पवन सक्सेना

कहते हैं ना धुआं है ना… आग तो लगी ही होगी। देयर इज नो स्मोक विदआउट फायर। तो साहब, यह तो सच है कि धुआं तो उठ रहा है। यह धुआं उठ रहा है चीन की उन ऊंची ऊंची दीवारों के पीछे से, जहां से कभी आसानी से कोई सही और सटीक खबर नहीं आती है। दुल्हन वही जो पिया मन भाये और खबर वही जो चीन बताये। तो चीन तो कुछ बता नहीं रहा लेकिन टेक्नोलाजी के इस जमाने में कयासों से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है। कयास जो अस्पष्ट सी खबरों को जन्म दे रहे हैं – वह हैं चीन में तख्ता पलट के वारे में। राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के हाउस अरेस्ट के वारे में, कुल मिलाकर पड़ोस में पूरा का पूरा निजाम बदलने के वारे में।
मैं या मेरे जैसे दुनिया भर के वह तमाम लोग जो जियोपालिटिक्स में रुचि रखते हैं, चीन पर निगाह रखते हैं, हम सभी ज्यादातर लोगों के पास जानने का माध्यम सिर्फ एक ही है, वह है सोशल मीडिया, नेट कनटेंट और पब्लिक डोमेन में आ रही बातें। यह सभी बातें बता रही हैं कि चीन में तख्ता पलट हो चुका है। हालांकि अभी आधिकारिक, औपचारिक कुछ भी नहीं है पर अगर आप क्रोनोलाजी को समझेंगे तब जान पायेंगे कि चीन में कुछ ना कुछ बड़ा हो गया है। एसओसी – शंघाई ओरगेनाइजेशन कारपोरेशन की हाल ही में समरकंद में हुई मीट में चीन, भारत, रूस समेत कई देश शामिल हुए, लेकिन इस सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी आनन फानन में पहुंचे तथा जल्द ही निकल गए। इसके आगे उनके बारे में कोई खबर नहीं है। एक विचार यह भी है कि वह शायद कोविड के सख्त प्रोटोकाल के चलते बीजिंग में क्वारंटीन हो गए हैं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा बड़ी हवा में तैरती खबरें यह हैं कि शी को हाउस अरेस्ट कर लिया गया। अक्टूबर में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना की 20वीं कांग्रेस होने जा रही है। डेलीगेट्स की सूची को फाइनल कर दिया गया है। तमाम दीगर मसलों के साथ साथ इस कांग्रेस में यह तय होना है कि शी आजीवन राष्ट्रपति बने रहेंगे या नहीं तो अगर तख्ता पलट हुआ है तब इससे बेहतर और सटीक समय कोई दूसरा हो ही नहीं सकता।

 

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चीन से छनकर बाहर आ रही खबरें बता रही हैं कि चीन की सेना के ताकतवर कमांडर कुछ पुराने और सीनियर लीडर और पोलित ब्यूरो के ज्यादातर सदस्य अब निष्ठा बदल चुके हैं। चीनी नेताओं की सुरक्षा करने वाले सेंट्रल गार्ड ब्यूरो सीजीबी का नियंत्रण भी शी के हाथों से छूट चुका है। सेना ने बीजिंग को घेर रखा है। अगर यह सच है तब यह भी सच है कि शी के पास अपना भी एक बड़ा और मजबूत सपोर्ट बेस है। फिर वह चाहें आम जनता में हो, पालित ब्यूरो में या फिर सेना में तो शी को यूं ही हटा देना इतना आसान तो नहीं होगा।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रूस और राष्ट्रपति पुतिन भी शी जिंगपिंग को निजी रूप से कुर्सी पर बने रहने देना चाहते हैं। रूसी पाइपलाइन से अचानक चीन की गैस सप्लाई को रोकने के पीछे भी कुछ ऐसी ही रणनीति के कयास लगाये जा रहे हैं। हालांकि रूसी गैस सप्लाई कंपनी का कहना है कि वह रूटिन मेंटीनेंस का काम कर रहे हैं लेकिन टाइमिंग यह बता रही है कि रूस चाहता है कि चीनी जनता सड़क पर आ जाये। यह शायद एक उत्प्रेरक, कैटेलिस्ट जैसी कार्रवाई है।

चीन से सभी फ्लाइट्स को ग्राउंड करने, हवाई यातायात को रोकने जैसी खबरें भी आ रही हैं। भारत में भाजपा नेता सुब्रम्णयम स्वामी के एक ट्विट ने भी हलचल मचा दी है, जिसमें उन्होंने सीधे सीधे शी जिंगपिंग की सत्ता के जाने का इशारा किया है। फिलहाल खेल तो कुछ बड़ा है, ताइवान और भारत समेत कई मोर्चो पर उलझे शी जिंगपिंग के लिए घरेलू मैदान भी फिलहाल आसान नहीं लगता। चीन के कई बड़े व सीनियर नेता चीन में अब खुलेपन की नीतियों की वकालत कर चुके हैं। हालांकि जनता अभी आटोक्रेसी यानी एकात्म सत्ता से ऊबी है या नहीं, यह अभी नहीं कहा जा सकता।
इन सभी हालातों के बीच चीन के विदेश मंत्री का हाल ही में अमेरिका जाना और अमेरिका जाकर डा. हेनरी किंगसनर से मिलना भी कुछ खास खिचड़ी के पकने का इशारा करता है। डा. किंगसनर वह बुजुर्ग लगभग 99 साल के अमेरिकन पालिटीशियन हैं, जिन्होंने एक जमाने में, रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान अमेरिका चाइना रिलेशनशिप की नींव रखी थी। उनको आर्किटेक्ट आफ यूएस चाइना रिलेशनशिप भी कहा जाता है। ताइवान और दूसरे तमाम मसलों पर चीन से जूझ रहा अमेरिका भी कहीं ना कहीं तो यह चाहता ही है कि चीन एक बदलाव का दौर देखे। कोरोना के वक्त मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना को कई बार चाइनीज वायरस भी कहा था।
फिलहाल एक पड़ोसी होने के नाते हमें चाहिए कि हम चीन की हर गतिविधि पर निगाह रखें और दुआ करें कि शायद आने वाले वक्त में हम एक लोकतांत्रिक चीन को देख सकें।
(लेखक जाने माने पत्रकार, लीडर पोस्ट के मुख्य संपादक, उद्यमी एवं राजनेता हैं )

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