देहरादून/कोटद्वार। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बुधवार शाम को जंगली हाथी से सामना हो गया। उससे बचने के लिए रावत ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। बचने के लिए वह पहाड़ पर चढ़ गए।

बुधवार शाम को दुगड्डा हाईवे पर जब त्रिवेंद्र रावत का काफिला गुजर रहा था, तो जंगल से एक हाथी निकल सामने आ गया। हाथी को नजदीक आता देख पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और अन्य लोगों ने वाहन छोड़ पहाड़ की ओर भागने लगे। उन्‍होंने एक पहाड़ी पर चढ़कर खुद को बचाया। गनीमत यह रही कि वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर हवाई फायरिंग करके हाथी को जंगल की ओर खदेड़ा। इसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली, वहीं हाथी के आने से हाईवे की दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई।

पौड़ी दौरे पर पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत का काफिला जब कोटद्वार-दुगड्डा हाईवे से गुजर रहा था, तभी टूट गदेरे के पास अचानक हाथी निकल कर हाईवे पर आ गया, जिसके बाद वहां अफरा तफरी का माहौल बन गया, हाथी को नजदीक आता देख त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित अन्य लोग को वाहन छोड़ भागना पड़ा, इस दौरान जान बचाने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित अन्य लोगों को पहाड़ पर चढ़ना पड़ा।

त्रिवेंद्र सिंह रावत का काफिला सतपुली से कोटद्वार की ओर आ रहा था, शाम करीब 5 से 6 बजे के बीच कोटद्वार-दुगड्डा के बीच टूट गदेरे के पास अचानक एक हाथी के सड़क पर आ जाने के कारण त्रिवेंद्र का काफिला करीब आधे घंटे तक रुका रहा। पूर्व सीएम के काफिले में शामिल पृथ्वीराज चौहान पहाड़ी पर चढ़ते हुए घायल हो गए।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हुई इस घटना पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत का बयान आया है। उन्होंने इस तरह की घटनाओं के लिए सरकार की कुछ गलत नीतियों को कारण बताया है। हरीश रावत ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके सहयोगी भगवान कंडोलिया के कृपा से हाथी के प्रकोप से बच गए, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ जो घटना घटी वह एक हजारवां अंश है, जो हर रोज उत्तराखंड में जंगली जानवरों के प्रकोप से घटित हो रहा है। जंगली जानवरों के आतंक से लोगों गांव छोड़कर पलायन कर रहे है। लोगों ने खेत बंजर छोड़ दिए हैं।

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