शंकराचार्य स्‍वामी स्वरूपानंद के उत्तराधिकाारियों की घोषणा, जानिए किसे मिली जिम्‍मेदारी

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स्‍वामी अविमुक्तेश्वरानंद और दंडी स्‍वामी सदानंद बनाए गए उत्तराधिकारी, एक को ज्योतिष पीठ और दूसरे को मिलेगी शारदा पीठ के प्रमुख की जिम्‍मेदारी

जबलपुर/नरसिंहपुर। ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारियों के नाम सोमवार दोपहर घोषित कर दिए गए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ और स्वामी सदानंद को द्वारका शारदा पीठ का प्रमुख घोषित किया गया है। उनके नामों की घोषणा शंकराचार्य जी की पार्थिव देह के सामने की गई। शंकराचार्य के निज सचिव सुबोद्धानंद महाराज ने की उत्तराधिकारियों के नामों की घोषणा की।
बता दें क‍ि पहले से ही ज्योतिष पीठ का प्रभाव अविमुक्तेश्वरानंद महाराज के पास बना हुआ है। जबकि द्वारका पीठ का प्रभार दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती को मिला हुआ है।

स्वरूपानंद सरस्वती का 99 वर्ष की आयु में रविवार को निधन हो गया था। उन्होंने झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त नरसिंहपुर पहुंचे। उनकी पार्थिव देह आश्रम के गंगा कुंड स्थल पर रखी गई। रविवार शाम से आश्रम में शंकराचार्य की गद्दी के सामने करीब 100 बटुक महाराज राम नाम का जाप कर रहे हैं।

परमहंसी गंगा आश्रम परिसर में पंडाल से करीब 400 मीटर दूर समाधि के लिए गड्ढा तैयार किया गया। आश्रम से 2 किलोमीटर पहले झोतेश्वर गांव के प्रवेश द्वारा पर ही प्रशासन ने ट्रैफिक को रोक दिया। अंतिम दर्शन के लिए प्रदेशभर से भक्त आश्रम पहुंचते रहे। स्वामी स्वरूपानंद जी को आश्रम से गंगा कुंड तक पालकी से ले जाया गया। यहां उनका शव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया।

सुनिश्चित किया गया है कि समाधि स्थल पर कुछ दिनों बाद एक मंदिर बनेगा। इसमें शिवलिंग की स्थापना की जाएगी।
गौरतलब है कि स्‍वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में हुआ था। 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्राएं शुरू की। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।

 

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