पैरेंटिंग / बच्चों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने के लिए पहले खुद की आदतें भी बदलें

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पैरेंटिंग ईश्वर का आशीर्वाद है। परंतु इसमें कई बार हम उलझ जाते हैं। जैसे हम सुनते हैं कि हमें बच्चों को सक्षम और आत्मनिर्भर बनाना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ हमें हिदायत दी जाती है कि बच्चों की बहुत देखभाल करें। यहां पर पैरेंट्स को यह जानना जरूरी है कि उनकी कौन सी आदतें बच्चों को आत्मविश्वासी व आत्मनिर्भर बनाएंगी और कौन सी आदतें उनके लिए ठीक नहीं होंगी। जानिए ऐसी 5 बातों के बारे में।

ऐसे दे बच्चों को सही दिशा


  1. समस्या का समाधान

    बच्चे समझदार तब बनते हैं जब वे अपने बड़ों को समझदारी से व्यवहार करते देखते हैं। जिन परिवारों में झगड़े अधिक होते हैं, वहां बच्चे खुद भी इसी व्यवहार को अपनाने लगते हैं। वह ये देखते हैं कि हम बड़े लोग अपनी समस्याओं का समाधान कैसे करते हैं। खुशियों में और खासकर परेशानियों में हम कैसा व्यवहार अपनाते हैं। वह इन आदतों को कॉपी करते हैं और ऐसी आदतों से ही बहुत कुछ सीखते हैं।

  2. आपकी प्रतिक्रिया

    बच्चे यह भी देखते हैं कि हम हमारे दोस्तों, रिश्तेदारों, सहकर्मियों और अन्य कर्मचारियों से किस तरह बात और बर्ताव करते हैं। दूसरों की कितनी परवाह करते हैं। वह यह देखते हैं कि हम विभिन्न परिस्थितियों में कैसी प्रतिक्रिया अपनाते हैं। हम चाहेकितना भी उन्हें सिखाएं, लेकिन वे वही करते हैं जो हमें करता देखते हैं।

  3. उनके लिए समय

    बच्चों के व्यवहार या उनकी किसी बुरी आदत को बदलने के लिए, हमें यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है। उनके साथ समय बिताएं। खाने-पीने और पढ़ाई की बातों के अलावा उनकी रुचि के मुताबिक उनसे बातें करें। उनकी पसंद-नापसंद में शामिल होकर उन्हें समझने की कोशिश करें।

  4. सकारात्मक व्यवहार

    हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि परिवर्तन अचानक एक दिन में नहीं लाया जा सकता। संयम से बर्ताव करके बच्चों के आसपास के वातावरण में छोटे-छोटे बदलाव लाना चाहिए। खासकर हमें हमारे खुद के व्यवहार में परिवर्तन लाना चाहिए। जैसे-जैसे हम सकारात्मक होंगे हमारे बच्चों में अपने आप ही बदलाव नजर आने लगेगा।

  5. सही मार्गदर्शन

    परवरिश के हर चरण में हमें उनका सही मार्गदर्शन करना चाहिए और जब वे सीख जाएं तो उन्हें उम्र मुताबिक निर्णय लेने और कार्य करने देना चाहिए। उन्हें गिरने दें और अपने आप संभलने दें। छोटी-छोटी समस्याओं का हल उन्हें स्वयं ही निकालने दें और बिना कारण कभी भी हस्तक्षेप ना करें। बस दूर से नजर बनाए रखें।

  6. ये आदतें बच्चों पर डालती हैं नकारात्मक प्रभाव

    • बच्चों के सामने अपना आपा खोना।
    • बच्चों को मारना और उन पर चिल्लाना।
    • उन्हें अपमानित या दूसरों सेतुलना करना।
    • उन्हें इग्नोर करना या उनके सामने रोना।
    • उनके लिए बहुत ज्यादा शिकायती होना।

7. जो बच्चे नाकारत्मक वातावरण में बड़े होते हैं वे अक्सर जिद्दी, घमंडी, असभ्य, कुंठित, भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते हैं। कभी-कभी वे ऊपरी तौर पर तो सामान्य नजर आते हैं,लेकिन भविष्य में मनोवैज्ञानिक विकारों जैसे अवसाद का शिकार हो जाते हैं।

8. अपने व्यवहर में संयम और समझ लाकर ही हम हमारे बच्चों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने में मदद कर पाएंगे और पैरेंटिंग को सबसे सुखद और संतोषजनक अनुभव बना सकेंगे।

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