नई दिल्ली। लाभकारी सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर उठे सवाल पर, सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि विनिवेश का मानदंड लाभ या हानि नहीं है।शिवसेना सांसद संजय राउत के सवाल का मौखिक जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि विनिवेश के मानदंड को नीति आयोग द्वारा तय किया गया है और यह लाभ या हानि पर आधारित नहीं है।
मंत्री ने कहा कि मानदंड को राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभु कार्यप्रणालियों, बाजार की खामियों और लोगों के उद्देश्यों के हिसाब से तय किया गया है। ठाकुर ने ऊपरी सदन में कहा, सरकार विनिवेश की नीति, सीपीएसई में रणनीतिक विनिवेश का अनुसरण करती है, जोकि प्राथमिकता वाले क्षेत्र नहीं हैं।
मोदी सरकार ने 28 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) के विनिवेश के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है, जिसमें लाभकारी कंपनियां जैसे ईंधन रिफाइनरी और खुदरा विक्रेता बीपीसीएल और कंटेनर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(कोनकोर) भी शामिल हैं।
विनिवेश योजना के तहत, सरकार ने विभिन्न कंपनियों में प्रबंधन नियंत्रण के साथ अधिकांश हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है। विनिवेश पर निर्णय लेते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडल समिति(सीसीईए) की बैठक में पिछले माह बीपीसीएल में सरकार की 53.29 हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दी थी।
सरकार ने इस बाबत कुछ विपक्षी नेताओं और सीपीएसई के कर्मचारी संगठनों के विरोध के बाद अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा है कि विनिवेश से सीपीएसई के संसाधनों का इस्तेमाल हो पाएगा, जिसे सामाजिक क्षेत्रों और विकास कार्यो में लगाया जा सकेगा और लोगों को फायदा होगा।