मई में प्रधानाचार्य का पद छोड़ चुके बृजमोहन शर्मा, आगे के कदम पर बोले- ‘वक्त आने दीजिए, जो होगा, सामने आ जाएगा।’

राजीव शर्मा, बरेली।
आप बरेली शहर के जयनारायण सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज का जिक्र करेंगे तो बृजमोहन शर्मा का नाम आपकी जुबान पर न आए, हो ही नहीं सकता। दरअसल, दोनों नाम एक दूसरे के पर्याय हो चुके हैं। दो दशक का इन दोनों का साथ रहा है और सच यही है कि दोनों ने एक-दूसरे को पहचान दी है। बृजमोहन शर्मा ने जयनारायण कॉलेज को प्रतिष्ठा दिलाई तो इस संस्था ने उनको अच्छा प्रशासक और शिक्षाविद साबित कर समाज में नाम दिया, लेकिन संदर्भ यह कि जयनारायण कॉलेज और बृजमोहन शर्मा का 21 साल पुराना साथ छूट चुका है।
आप सोच रहे होंगे कि बृजमोहन शर्मा रिटायर्ड हो गए हैं तो ऐसा नहीं है। हुआ यह है कि वह तकरीबन दो माह पहले, मई माह में प्रधानाचार्य के पद से इस्तीफा दे चुके हैं। क्यों? इस सवाल का जवाब सामने आना बाकी है। बृजमोहन शर्मा भी इस बारे में कुछ नहीं बताते। वह सिर्फ इतना कहते हैं कि काफी वक्त हो गया था, अब दूसरों को भी मौका मिलना चाहिए, इसलिए स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया।
जाहिर है कि अब सबके जेहन में यह सवाल लाजिमी हो जाता है कि बृजमोहन शर्मा अब किस भूमिका में सामने आएंगे? यह सवाल इसलिए भी, क्योंकि उनकी पहचान बरेली और आसपास सिर्फ एक शिक्षाविद तक सीमित नहीं, वह संघ यानी आरएसएस से आते हैं और उसके प्रकल्प विद्या भारती से लंबे समय से जुड़े हैं इसलिए सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी उनको देखा जाता है। उनका सामाजिक जुड़ाव अच्छा-खासा है। प्रबुद्ध वर्ग के साथ ही तकरीबन हर वर्ग में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। लोगों से चिरपरिचित अंदाज में मुस्कुराते हुए मिलना उनकी आदत है। अक्सर दबी जुबान से यह चर्चा भी की जाती रही है कि बृजमोहन शर्मा भाजपा में सक्रिय होकर राजनीति में आ सकते हैं, हालांकि सार्वजनिक तौर पर उन्होंने कभी किसी चुनाव में टिकट के लिए कोई दावेदारी नहीं की और न ही राजनीति में आने की बात को कभी स्वीकार ही किया। कहा तो यह भी गया था कि वह पिछले चुनाव में भाजपा में मेयर टिकट के अंदररूनी तौर पर दावेदार थे, लेकिन यह बात भी सामने नहीं आई।
कॉलेज में प्रधानाचार्य की कुर्सी पर बैठे बृजमोहन शर्मा। फाइल फोटो
अब चूंकि बृजमोहन शर्मा जयनारायण कॉलेज को छोड़ चुके हैं। ऐसे में, उनकी नई भूमिका पर सबकी नजरें हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि वह निश्चित तौर पर कुछ नया करेंगे, इसलिए भी, क्योंकि जानने वाले उनकी जीवटता को जानते हैं। प्रदेश में जयनारायण कॉलेज का परचम लहराना उनकी इसी जीवटता का परिणाम है। साल 2001 से 2022 तक वह इस कॉलेज के प्रधानाचार्य रहे। उनका नाम इसलिए अन्जाना नहीं है, क्योंकि दो दशक से अधिक समय के कार्यकाल में उन्होंने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के रिजल्ट में लगभग हर साल ही प्रदेश की टॉप-10 लिस्ट में अपने कॉलेज के मेधावियों को स्थान दिलाया। नतीजतन, जयनारायण कॉलेज की साख बढ़ती गई। निस्संदेह संस्था प्रधान होने के नाते इसका श्रेय बृजमोहन शर्मा हो ही जाता है। उनको साल 2017 और 2019 में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ठ कार्य के लिए मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित किया।

बृजमोहन शर्मा को जानने वाले कहते हैं कि काम के प्रति जी-तोड़ मेहनत, समर्पण और लक्ष्य के प्रति उनका जुनून देखते ही बनता है। अलबत्ता, खुद बृजमोहन शर्मा अपने कार्यकाल में जयनारायण कॉलेज की उपलब्धि का श्रेय विद्यालय के शिक्षकों की मेहनत और प्रबंध तंत्र की ओर से फ्री-हैंड काम करने का मौका देने को देते हैं। अपनी कार्यशैली के बारे में कहते हैं कि किसी भी काम के प्रति जुनूनी होना विद्या भारती से मिले संस्कार हैं।

 

आगे क्या योजना है? वह अब किसी और शिक्षण संस्थान में सेवा देंगे या जयनारायण कॉलेज जैसा कोई शिक्षण संस्थान स्थापित करेंगे अथवा राजनीति में कदम रखेंगे? ऐसे कई कयासों को बृजमोहन शर्मा यह कहकर टालने की कोशिश करते हैं कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। वह कहते हैं कि ‘मैं तभी कुछ कहता हूं, जब कुछ होने की स्थिति में हो, फिलहाल वक्त का इंतजार कर रहा हूं, इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।’ अलबत्ता, काफी कुरेदने पर वह यह जरूर स्वीकार करते हैं कि ‘आगे की योजना पर काम कर रहे हैं।’ बोले- ‘वक्त आने दीजिए, सब कुछ सामने आ जाएगा।’

‘काफी वक्त हो गया था, अब दूसरों को भी मौका मिलना चाहिए, इसलिए  प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी से स्वेच्छा से इस्तीफा दे चुका हूं।’
‘मैं तभी कुछ कहता हूं, जब कुछ होने की स्थिति में हो, फिलहाल वक्त का इंतजार कर रहा हूं, इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।’ अलबत्ता, काफी कुरेदने पर वह यह जरूर स्वीकार करते हैं कि ‘आगे की योजना पर काम कर रहे हैं।’ बोले- ‘वक्त आने दीजिए, सब कुछ सामने आ जाएगा।’
-बृजमोहन शर्मा
(अगली कड़ी में पढ़िए- जब बृजमोहन शर्मा ने चंबल के बीहड़ में जगाई थी शिक्षा की ज्योति)

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